इंदौर (Indore)। कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने निर्देशित किया है कि स्टाम्प शुल्क एवं पंजीयन शुल्क संबंधी प्रावधानों का पालन सुनिश्चित किया जाये। लोक कार्यालयों में प्रस्तुत होने वाले दस्तावेजों पर स्टाम्प एवं पंजीयन शुल्क की प्रभार्यता सुनिश्चित किया जाये। कलेक्टर ने जिले के सभी शासकीय एवं अर्धशासकीय कार्यालय प्रमुखों को पत्र जारी कर कहा है कि स्टाम्प एवं पंजीयन शुल्क से प्राप्त आय राज्य की राजस्व आय का महत्वपूर्ण स्त्रोत है। शासकीय एवं अर्धशासकीय लोक कार्यालयों में प्रस्तुत होने वाले दस्तावेजों पर मुद्रांक एवं पंजीयन शुल्क नियमानुसार प्रभारित किया जाना आवश्यक है।
भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 की धारा-33 के अनुसार प्रत्येक लोक कार्यालय के भारसाधक अधिकारी का यह विधिक दायित्व है कि उनके समक्ष प्रस्तुत किसी भी दस्तावेज पर स्टाम्प शुल्क की जांच करें एवं कमी पाए जाने पर धारा 38 (2) के अंतर्गत कलेक्टर ऑफ स्टाम्प (वरिष्ठ जिला पंजीयक) को स्टाम्प शुल्क की वसूली के लिए प्रेषित करें। इसी अधिनियम की धारा-35 के अंतर्गत कम स्टाम्प शुल्क पर लिखा गया कोई भी दस्तावेज साक्ष्य में ग्राह्य नहीं है तथा इस पर कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती है।
भारतीय रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1908 की धारा-17 के अनुसार दान, विक्रय अनुबंध, हक्क-त्याग एवं 100 रूपये से अधिक मूल्य की अचल सम्पत्ति के प्रत्येक दस्तावेज की उप पंजीयक कार्यालय में पंजीयन अनिवार्य है। ऐसे दस्तावेजों का पंजीयन नहीं कराये जाने से उनमें निहित सम्पत्ति में कोई हक्क प्राप्त नहीं होता है। प्रावधानों का पालन करने से न केवल शासन के राजस्व की सुरक्षा होगी अपितु आम नागरिकों के सम्पत्ति संबंधी अधिकारों का भी संरक्षण होगा। अधिक जानकारी एवं अधिसूचनाएं www.mpigr.gov.in पर देखी जा सकती है।
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