इन्दौर (Indore)। सारे देश में प्रतिबंधित मांगूर मछली का पालन और कारोबार करने वालों के खिलाफ जिला प्रशासन ने मुहिम शुरू कर दी है। अधिकारियों ने कल शहर के पास एक गांव पहुंचकर तालाब में जाल के जरिए मछलियों को बाहर निकलवाकर निरीक्षण किया तो सारी मछलियां सरकार द्वारा प्रतिबंधित मांगूर प्रजाति की पाई गईं। इसके बाद प्रतिबंधित मछली को पालने और बेचने वाले के खिलाफ पंचनामा बनाकर कानूनी कार्रवाई की गई।
सरकार द्वारा प्रतिबंधित जानलेवा मांगूर मछली के पालन और उसका शहर में खुला व्यापार से संबंधित खबर 20 जुलाई को प्रकाशित की गई थी, जिस पर जिला प्रशासन ने तत्काल संज्ञान लेते हुए मत्स्य विभाग को प्रतिबंधित मछली पालन व उसका व्यापार करने वालों के खिलाफ मुहिम चलाकर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए थे। मत्स्य विभाग के सहायक अधिकारी महेंद्र पानखेड़े ने बताया कि कल मत्स्य निरीक्षक शिखा यादव के साथ जिला प्रशासन और मत्स्य विभाग की टीम इंदौर के पास बड़ी कलमेर गांव के तालाब पर पहुंची।
जब तालाब में जाल डलवाकर मछलियों को बाहर निकलवाया गया तो अग्निबाण की खबर सही साबित हुई। सारी मछलियां जानलेवा मांगूर प्रजाति की पाई गईं। इसके बाद वहां काम कर रही महिलाओं और पुरुषों से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि इस तालाब में कलमेर निवासी संतोष मछलीपालन करता है। तालाब पर जिला प्रशासन की टीम के पहुंचने की खबर लगते ही वह गांव से गायब हो गया। इसके बाद तालाब से सारी मछलियों को निकलवाकर वहीं पास में ही गड्ढा खुदवाकर दफना दिया गया। मत्स्य सहायक अधिकारी के अनुसार जानलेवा मांगूर मछली का पालन करने और बेचने वालों के खिलाफ मुहिम लगातार जारी रहेगी। यशवंत सागर के आसपास के अलावा जिले के सभी मछली पालने और बेचने वालों के यहां पहुंचकर विभाग उनकी जांच करेगा। अब शहर में मछली बेचने वालों के ठीयों पर दबिश दी जाएगी।
नरभक्षी है मांगूर मछली
आर्सेनिक, लेड, मरक्यूरी की अधिकता होने की वजह से इस मछली को खाने वालों को कैंसर, डायबिटीज, लिवर संबंधित बीमारियां जकड़ लेती हैं। यह मछली अन्य प्रजाति की मछलियों को तो खा ही जाती है, इंसानों को भी नहीं बख्शती, इसलिए इसे जानलेवा ही नहीं, बल्कि राक्षस प्रजाति नरभक्षी मछली भी कहा जाता है।
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