जयपुर (jaipur)। राजस्थान में सियासी घमासान (Political turmoil) थमने का नाम नहीं ले रहा है। चुनावी साल के चलते सियासी बवाल के कारण कांग्रेस आलाकमान की चिंता भी जायज है। आलाकमान भी चाहता है कि चुनावी साल में इस बवाल को जल्द से जल्द थामा जाए, ताकि सरकार को वापस रिपीट करवाने के लक्ष्य पर फोकस हो सके लेकिन, गहलोत पायलट (Gehlot Pilot) के बीच चल रहा बवाल लगातार बढ़ता जा रहा है।
बता दें कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं है। सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया है। गुढ़ा पायलट कैंप के माने जाते हैं। सीएम गहलोत ने एक तीर से दो निशाने साधे है। गुढ़ा के बहाने बयानवीरों को सख्त मैसेज दिया है। जबकि सचिन पायलट को भी इशारों में चेताया है।
वहीं सियासी जानकारों का कहना है कि सीएम अशोक गहलोत ने गुढ़ा को मंत्री पद से हटाकर मैसेज दिया है कि पायलट तेवर अब बर्दास्त नहीं। बता दें राजेंद्र गुढ़ा 21 नंवबर 2021 को मंत्रिमंडल पुनर्गठन के दौरान राज्यमंत्री बनाए गए थे, लेकिन मनचाहा विभाग नहीं मिलने से नाराज चल रहे थे। गहलोत सरकार के सियासी संकट के दौरान सरकार के पक्ष में खड़े रहे गुढा ने बाद में पाला बदल सचिन पायलट कैंप में शामिल हो गए। गुढ़ा सीएम गहलोत और उनके करीबी मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी पर जमकर हमला बोलते रहे हैं।
गहलोत दूसरी बार पायलट कैंप पर आक्रामक हुए है। बता दें 2020 में पहले सचिन पायलट को डिप्टी सीएम के पद से बर्खास्त किया जा चुका है, जबकि पायलट कैंप के माने जाने वाले दो मंत्रियों विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीना से भी इस्तीफे ले लिए गए थे। सचिन पायलट गुढ़ा के मामले में चुप्पी साधे हुए है। मंत्री गुढ़ा ने विधानसभा में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को निशाने पर ले लिया था। राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने कहा- हमें मणिपुर की बजाय अपने गिरेबां में झांकना चाहिए। हम महिलाओं को सुरक्षा देने में विफल रहे हैं।
सचिन पायलट ने साधी चुप्पी
सचिन पायलट कैंप गुढ़ा के मामले में फिलहाल चुप्पी साधे हुए है। पायलट कैंप के किसी भी नेता का बयान फिलहाल नहीं आया है। 2020 की बगावत के समय गुढ़ा समेत बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों ने सीएम अशोक गहलोत का साथ दिया था। लेकिन बाद में पाला बदलकर पायलट कैंप में शामिल हो गए है। गुढ़ा ने सचिन पायलट की मौजूदगी में कांग्रेस आलाकमान को भी निशाने पर ले लिया था। पायलट कैंप के नेता सुलह के बाद चुप्पी साधे हुए है। पायलट के बेहद करीबी माने जाने वाले चाकसू विधायक के सुर भी सीएम अशोक गहलोत के प्रति बदले हुए नजर आ रहे हैं। जबकि राजेंद्र गुढ़ा ने विधानसभा में अपनी ही सरकार की आलोचना कर सरकार को असहज की स्थिति ला दिया।
पायलट कैंप पर पहली बार हुए आक्रामक
राजेंद्र गुढ़ा शुरू से ही अपने बयानों को लेकर सुर्खियां बटोरते रहे हैं। गुढा बसपा के टिकट पर उदयपुरवाटी से विधायक बनकर मंत्री बने है। पायलट की बगावत के समय गहलोत सरकार को गिरने से बचाने में गुढ़ा ने अहम भूमिका निभाई थी। सीएम गहलोत ने गुढ़ा को मंत्री बना दिया, लेकिन गुढ़ा ने सरकारी गाड़ी लेने से इनकार करते हुए अपनी नाराजगी जता दी थी। गुढ़ा का कहना है कि कैबिनेट मंत्री रमेश मीना उनसे जूनियर है। ऐसे में उनके अधीन रहकर काम नहीं कर सकते हैं। हालांकि, बाद में गुढ़ा मान गए थे। गुढ़ा ने अपने क्षेत्र में हेमामालिनी को लेकर भी टिप्पणी की थी। सीएम गहलोत पर झूठे मुकदमें फंसाने का आरोप तक लगा चुके हैं। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शायद गुढ़ा को पायलट कैंप का साथ नहीं मिलेगा। क्योंकि सचिन पायलट सुलह के बाद चुप्पी साधे हुए है। पायलट कैंप दूरी बना सकता है।
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