इंदौर (Indore)। शहर और आसपास कभी तेज तो कभी धीमी बारिश से रेल लाइनों और हाईवे निर्माण कार्यों की गति एकाएक धीमी हो गई है। जमीन गीली होने का कारण मिट्टी कीचड़ में बदल गई है और अब सितंबर या उसके बाद ही बड़े विकास कार्यों की गति बढ़ाई जा सकेगी, तब तक केवल वही काम हो सकेंगे, जो बारिश में संभव हैं।
जिन रेल लाइनों के काम इंदौर या आसपास हो रहे हैं, उनमें देवास-इंदौर और राऊ-महू रेल लाइन दोहरीकरण, इंदौर-दाहोद नई रेल लाइन, छोटा उदेपुर-धार रेल लाइन और महू स्टेशन पुनर्विकास प्रोजेक्ट शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में काम की गति जरूर धीमी हुई है, लेकिन मानसून सीजन आने के पहले ही रेलवे ने कई जगह अर्थवर्क का काम पूरा कर लिया था। फिर वहां चूरी और गिट्टी भी बिछा दी गई थी।
मसलन, देवास-इंदौर रेल लाइन दोहरीकरण के तहत बरलई से इंदौर के बीच बड़े हिस्से में गिट्टी बिछाई जा चुकी है। इसी तरह राऊ-महू डबलिंग के तहत भी कई हिस्सों में गिट्टी बिछाई जा चुकी है या यह काम हो रहा है। इंदौर-दाहोद रेल लाइन प्रोजेक्ट के तहत टीही से गुणावद होते हुए धार के बीच भी टुकड़ों-टुकड़ों में जगह-जगह गिट्टी बिछाई गई है। हालांकि, जिन हिस्सों में गिट्टी या चूरी नहीं बिछ पाई, वहां कीचड़ की समस्या पैदा हो रही है। अब वहां काम करने के लिए कीचड़ सूखने और मानसून सीजन बीतने का इंतजार करना पड़ेगा।
इंदौर-राघौगढ़ फोर लेन का काम और पिछड़ा
इधर, बारिश के कारण नेशनल हाईवेज अथॉरिटी आफ इंडिया के प्रोजेक्टों का भी काम प्रभावित हो रहा है। खासतौर पर इंदौर-बैतूल फोर लेन हाईवे प्रोजेक्ट के तहत बनाए जा रहे इंदौर-राघौगढ़ ग्रीनफील्ड हाईवे का काम धीमा हो गया है। यह प्रोजेक्ट पहले ही देरी से क्रियान्वित हो रहा है। यही स्थिति इंदौर-अकोला फोर लेन हाईवे की भी है। जमीन की सतह गीली होने से काम पहले की तुलना में आधा भी नहीं हो पा रहा है। एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुमेश बांझल ने बताया कि मालवा क्षेत्र में ब्लैक कॉटन सॉइल के कारण बारिश में काम करना कठिन हो जाता है। बारिश बाद काम पूरी गति से कराए जाएंगे।
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