मामला चंपू, चिराग की नित नई उजागर होती कारस्तानियों का, अफसरों ने भी खूब दिया साथ… सेटेलाइट का नक्शा भी फिर से होगा मंजूर
इन्दौर। तमाम एफाईआर दर्ज होने और परिवार के सारे सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई और जेल जाने के बावजूद भूमाफिया नहीं सुधरे। हाईकोर्ट द्वारा बनाई कमेटी को ही गलत जानकारियां देते रहे, मगर धीरे-धीरे कई नए खुलासे भी हो रहे हैं। फिनिक्स में मृतक किसान के नाम पर ही विकास अनुमति हासिल करने से लेकर अफसरों के साथ साठगांठ कर कागजी विकास करवाते हुए 40 दिन में सभी प्रक्रिया पूरी कर बंधक रखे गए प्लाट भी छुड़वा लिए।
इन्दौर जैसे जमीनी जादूगरों और भूमाफिया पूरे देश में कहीं नहीं होंगे, स्थिति यह है कि हाईकोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी को भी इन भूमाफियाओं ने चकमा देने के तमाम प्रयास किए और पीडि़तों को भूखंड की बजाए ब्याज सहित पैसा देने की बात भी कही, वहीं पिछले दिनों चंपू अजमेरा के बेेटे आर्जव के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करवाई, जो फिलहाल फरार है। चंपू के तो पूरे खानदान के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है, वहीं चिराग एवं अन्य भूमाफिया भी पीडि़तों को गुमराह करने में जुटे हैं। सेटेलाइट, फिनिक्सि और कालिंदी के भूघोटालों की जांच कमेटी द्वारा की जा रही है। अभी पता चला कि फिनिक्सि, जिसकी कैलोदहाला में जमीन है, वहां के एक किसान सेवाराम की मौत 2005 में हो गई, जबकि उसके नाम पर विकास अनुमति 2009 में हासिल कर ली गई, यानी तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों की भी इस मामले में पूरी मिलीभगत रही। फिनिक्स देवकान कंपनी ने विकास अनुमति तो जल्दी ही हासिल कर ली, वहीं थोड़े ही दिनों में विकास कार्य कागजों पर ही करना बता दिया और फिर 40 दिन में बंधक प्लाट भी छुड़वा लिए।
नगर तथा ग्राम निवेश में बदल गए संयुक्त संचालक
नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय ने कल एक आदेश जारी कर इन्दौर भोपाल के संयुक्त संचालकों के तबादले कर दिए, जिसके चलते इन्दौर में पदस्थ और मास्टर प्लान तैयार करवाने में महती भूमिका निभाने वाले संयुक्त संचालक एस.के. मुदगल को इन्दौर से भोपाल का संयुक्त संचालक बनाकर भेज दिया और उनकी जगह इन्दौर में डॉ. शुभाशीष बनर्जी को भेजा गया, जो वर्तमान में उपसचिव नगरीय विकास और आवास मंत्रालय भोपाल में पदस्थ थे, अब उनकी जगह भोपाल के संयुक्त संचालक सी.के. साधव को यह जिम्मेदारी दी गई है।
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