नई दिल्ली। महाराष्ट्र में विभागों के बंटवारे को लेकर जारी गतिरोध के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के वरिष्ठ नेता अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। एनसीपी नेता भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक के लिए बुधवार शाम दिल्ली पहुंचे। इस बीच सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि अजित पवार खेमे को वित्त मंत्रालय दिया जा सकता है।
महाराष्ट्र के नवनियुक्त डिप्टी सीएम अजित पवार को वित्त विभाग सौंपने की बात लगभग तय हो चुकी है, अब बस औपचारिक ऐलान का इंतजार है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अजित पवार की तरफ से राजस्व, सिंचाई, ग्रामीण विकास, टूरिज्म, सामाजिक न्याय, महिला एवं विकास और आबकारी जैसे विभागों में भी दिलचस्पी दिखाई गई है।
किसी केंद्रीय मंत्रालय की मांग नहीं- प्रफुल्ल पटेल
वहीं, एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने पत्रकारों से बातचीत में महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन में दरार की खबरों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि विभागों के आवंटन के मुद्दे को सुलझा लिया गया है और एक-दो दिन में राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार हो जायेगा। यह पूछे जाने पर कि क्या एनसीपी केंद्र सरकार में शामिल होगी, पटेल ने कहा कि हमने किसी केंद्रीय मंत्रालय की कोई मांग नहीं रखी है।
अमित शाह से अजित पवार की मुलाकात
पटेल ने कहा, ‘‘यह केवल भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से एक शिष्टाचार मुलाकात है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ अजित दादा और मेरी कोई औपचारिक भेंट नहीं हुई है। हम गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के अन्य नेताओं से मुलाकात करेंगे।’’ पटेल और अजित पवार के अलावा एनसीपी के वरिष्ठ नेता हसन मुश्रीफ भी दिल्ली पहुंचे हैं। हालांकि, पटेल ने कहा कि मुश्रीफ कुछ निजी काम से यहां आए हैं और वह भाजपा नेताओं के साथ बैठक में अजित पवार और उनके साथ शामिल नहीं होंगे। पटेल ने कहा कि अजित पवार और वह 18 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे जब भाजपा द्वारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दलों की बैठक बुलाई गई है।
कानूनी लड़ाई पर चर्चा
एनसीपी नेताओं की गृहमंत्री अमित शाह से हुई मुलाकात में आगे की कानूनी लड़ाई पर चर्चा की गई, जिसके बाद शिवसेना शिंदे गुट की तरह हरीश साल्वे अजित पवार कैंप का केस लड़ सकते हैं। वहीं शरद पवार गुट के लिए सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट और चुनाव आयोग में पैरवी करेंगे। एक तरफ जहां अजित पवार गुट कह रहा है कि उसके पास पार्टी से दो तिहाई से ज्यादा विधायक हैं, ऐसे में पार्टी और चुनाव चिन्ह पर उनका हक है, वहीं शरद पवार गुट का दावा है कि पार्टी पर उनका अधिकार है।
गौरतलब है कि 2 जुलाई को एक आश्चर्यजनक घटनाक्रम में, शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी विभाजित हो गई जब उनके भतीजे अजित पवार और लगभग तीन दर्जन विधायक सत्तारूढ़ शिवसेना-भाजपा गठबंधन में शामिल हो गए। अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री और आठ अन्य एनसीपी नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली।
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