नई दिल्ली: भारत, पूरी दुनिया को झटका देते हुए चावल की अधिकाशं किस्तों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है. भारत सरकार के इस कदम से ग्लोबल मार्केट में चावल की कीमतों में और ज्यादा इजाफा देखने को मिल सकता है. वहीं भारत में दाम में कटौती देखने को मिल सकता है. वैसे ही अलनीनो की वजह से चावल के प्रोडक्शन पर काफी असर देखने को मिला है और इंटरनेशनल मार्केट में चावल की कीमतें पहले ही 11 साल के हाई पर पहुंच गई है. भारत की ओर से ये कदम लोकल लेवल पर चावल की कीमतों को कंट्रोल करने के लिए उठाया जा रहा है. देश के कई हिस्सों में चावल की कीमतों में 20 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हो चुका है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार मामले से परिचित लोगों के मुताबिक, सरकार सभी नॉन-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की योजना पर चर्चा कर रही है. नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार विधानसभा चुनाव और उसके बाद आम चुनावों से पहले देश में महंगाई के जोखिम से बचना चाहती है. जिसकी वजह से चावल के नॉन बासमती वैरायटी पर बैन लगाने के बारे में सोच रही है.
भारत में बढ़ रही है कीमतें
खास बात तो ये है कि दुनिया के कुल एक्सपोर्ट का 40 फीसदी हिस्सा भारत के पास है. साथ ही दुनिया का सबसे सस्ता चावल भी भारत की एक्सपोर्ट करता है. ऐसे में भारत अगर सस्ता चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाता है तो दुनिया में चावलों के दाम में और भी इजाफा देखने को मिल सकता है. दूसरी ओर भारतीय चावल के एक्सपोर्ट की कीमत में 9 फीसदी का इजाफा देखने को मिल चुका है. पिछले महीने ही सरकार ने चावल के एमएसपी में 7 फीसदी का इजाफा किया था.
26 फीसदी कम हुई है बुवाई
गर्मियों में मानसून की शुरुआत में बारिश कम होने के कारण पूरे देश में बुवाई कम देखने को मिली है. पिछले हफ्ते के आंकड़ों पर बात करें तो समर में बोया जाने वाला चावज पिछले साल के मुकाबले 26 फीसदी कम है. इसका कारण अलनीनो को बताया जा रहा है. जिसका असर सिर्फ भारत पर ही देखने को नहीं मिल रहा है बल्कि थाईलैंड में भी देखने को मिल रहा है, जहां पर सामान्य से 26 फीसदी कम बारिश होने के कारण एक ही फसल उगाने को कहा गया है.
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