इंदौर। वन विभाग इंदौर (Forest Department Indore) की महू रेंज (Mhow Range) में बडग़ोंदा नर्सरी (Badgonda Nursery) वाले वन क्षेत्र में बाघ (Tiger) लगभग हर तीसरे-चौथे दिन नजर आ रहा है। कल मंगलवार को फिर बाघ नखेरी नदी, बालाजी मंदिर, बडग़ोंदा नर्सरी के आसपास घूमता नजर आया, जिसे न सिर्फ ग्रामीणों ने देखा, बल्कि बाघ कैमरे में भी नजरबंद हो गया।
रेंजर वैभव उपाध्याय (Vaibhav Upadhyay) ने बताया कि पिछले दो माह से नखेरी नदी, बाला मन्दिर, बडग़ोंदा नर्सरी, मेंडली गांव के आसपास का इलाका बाघ का वॉकिंग कॉरिडोर बना हुआ है, यानी वह इसी इलाके घूम-फिर रहा है। मई-जून से लेकर अभी तक महू और मानपुर के लगभग 20-40 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हर तीसरे-चौथे दिन उसके मूवमेंट की सूचना ही नहीं, बल्कि उसके पंजे के निशान भी मिल रहे हैं।
कल मंगलवार को फिर बाघ नखेरी नदी, बालाजी मंदिर, बडग़ोंदा नर्सरी के आसपास घूमता नजर आया, जिसे न सिर्फ ग्रामीणों ने देखा, बल्कि वन विभाग के कैमरों में भी नजरबंद हो गया। रेंजर वैभव उपाध्याय ने बताया कि सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम ने पहुंचकर सर्चिंग ऑपरेशन चलाया। इस दौरान बड़ी दूर तक पंजे के निशान पाए, जिसका मिलान करने पर बाघ के पंजों के निशान पाए गए। इसके बाद आसपास के गांव में पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है, साथ ही गांववालों को बाघ की मौजूदगी से सावधान किया गया है।
बाघ को शिकारी से, लोगों को बाघ से बचाना है
वन विभाग के अधिकारियों से जब पूछा गया कि पिछले 2 माह से जब बाघ या तेंदुए हर तीसरे-चौथे दिन किसी न किसी को नजर आ रहे हैं, आपके विभागीय कैमरों में भी कैद हो रहे हैं, मगरआपका विभाग उन्हें पकड़ क्यों नहीं पा रहा है। इसके जवाब में महू रेंजर उपाध्याय का कहना है कि हमारा काम या मकसद किसी वन्यजीव को पकडऩा नहीं है, क्योंकि जंगल तो उनका घर है। मगर जब वो रहवासी बस्तियों या गांव के आसपास या गांव में घुस आते हैं तो हमारी टीम उन्हें पकडक़र वापस जंगल में ही छोड़ देती है। हमारे विभाग के सर्च ऑपरेशन का उद्देश्य वन्यजीवों, मतलब बाघ, तेन्दुआ को रहवासी इलाकों में घुसने से रोकने के अलावा शिकारियों से बाघ व तेन्दुओं को और वन्यप्राणियों से रहवासी बस्तीवालों को बचाना होता है।
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