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    413 करोड़ बांट दिए मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान में, घोटाले का आरोप

  • July 11, 2023

    2 लाख की अधिकतम पात्रता है, मगर प्रति व्यक्ति 5 लाख से अधिक राशि दे डाली, कांग्रेस विधायक द्वारा पूछे सवाल के जवाब में चौंकाने वाला खुलासा उजागर

    इंदौर। आज से विधानसभा का अंतिम सत्र शुरू हो रहा है, जिसमें सत्ता पक्ष जहां लाड़ली बहना सहित अपनी योजनाओं का श्रेय लेगा, तो विपक्ष यानी कांग्रेस ने भी तमाम घोटालों से लेकर पिछले दिनों हुए पेशाब कांड पर भी हल्ला मचाना तय किया है, वहीं इंदौर के राऊ विधानसभा के कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी (former minister jeetu patwari) ने कई महत्वपूर्ण सवाल दाग कर मुख्यमंत्री सहित उनकी पूरी सरकार को आरोपों के कठघरे में खड़ा किया है। एक मामला मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान (Chief Minister’s Voluntary Grant) मद से जुड़ा है, जिसमें करोड़ों रुपए के घोटाले और पात्रता से ज्यादा राशि बांटने के आरोप लगाए गए हैं। तीन साल में ही 413 करोड़ रुपए की बड़ी राशि इस मद में खर्च करना बताई गई, जबकि प्रति व्यक्ति अधिकतम 2 लाख रुपए तक की ही मदद का प्रावधान है। मगर औसतन प्रति प्रकरण 5.8 लाख रुपए तक मंजूर कर डाले और इसकी लिखित जानकारी विधानसभा में पूछे प्रश्न के जवाब में दी गई है। चिकित्सा, दुर्घटना व शहीद सहित अन्य प्रकरणों में उक्त सहायता राशि स्वीकृत की जाती है, वहीं लाड़ली बहना, शराब के ठेकों में हुई राजस्व की हानि सहित ऐसे ही कई अन्य सवाल पटवारी ने पूछे हैं। कई सवालों के तो गोलमोल जवाब दिए गए, तो कई के जवाब तैयार किए जाना बताया गया।


    विधानसभा चुनाव (assembly elections) से पहले यह सत्र वैसे तो हंगामेदार होना है। सतपुड़ा अग्निकांड, महाकाल लोक घोटाले सहित पिछले दिनों आदिवासी पर पेशाब करने और फिर यह जानकारी सामने आई कि जिसके मुख्यमंत्री ने पांव धोए वह और कोई आदिवासी है, सहित अन्य मामलों में कांग्रेस घेरेगी। मगर संभव है कि हो-हल्ले के बीच विधानसभा को स्थगित भी कर दिया जाए, वहीं इंदौर के कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने हर बार की तरह तीखे और गंभीर सवाल पूछे हैं, जिनमें से कई सवालों के जो जवाब मिले, उनमें ही करोड़ों रुपए की अनियमितताएं स्पष्ट नजर आती हैं। पटवारी के मुताबिक उन्होंने यह जानना चाहा कि मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान मद में वर्ष 2020-21 से लेकर 22-23 तक कितना बजट प्रावधानित था। आवंटित और व्यय राशि के साथ प्रति प्रकरण स्वीकृत औसत राशि वर्षवार बताई जाए। हालांकि इसमें कई सवालों के जवाब अभी नहीं मिले। मगर यह अवश्य बताया गया कि इस मद में अधिकतम 2 लाख रुपए की राशि ही स्वीकृत की जा सकती है। मगर 31 दिसंबर 2022 की स्थिति में 164 करोड़ रुपए का व्यय बताया गया और कुल स्वीकृत प्रकरणों की संख्या 2812 बताई गई। यानी प्रति स्वीकृत प्रकरण औसत राशि इस हिसाब से 5.8 लाख रुपए होती है, जबकि अधिकतम 2 लाख रुपए ही स्वेच्छा अनुदान में दिए जा सकते हैं, जबकि इससे तीन गुना अधिक राशि प्रति व्यक्ति दे दी। यानी करोड़ों रुपए का घोटाला इस मद में किया गया, वहीं पटवारी का यह भी आरोप है कि मुख्यमंत्री ने अपने क्षेत्र में ही सैकड़ों करोड़ रुपए भाजपा के कार्यकर्ताओं और उनसे जुड़े लोगों को स्वेच्छा अनुदान के रूप में बांट दिए हैं, उसकी भी जानकारी निकलवाई जा रही है। पटवारी द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री द्वारा ही विधानसभा में जो लिखित जानकारी दी गई उसके मुताबिक वर्ष 2020-21 में 110 करोड़ रुपए के बजट के विरूद्ध 96.28 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई। इसी तरह 2021-22 में 130 करोड़ रुपए के बजट प्रावधान के विरूद्ध 126.79 करोड़ रुपए व्यय करना बताए गए। इसी तरह 2022-23 में बजट प्रावधान 200 करोड़ रुपए का किया गया और इसके एवज में 190.36 करोड़ रुपए खर्च करना बताए गए। यानी इन तीन वर्षों में ही 413 करोड़ रुपए की राशि मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान के रूप में खर्च कर दी गई और प्रत्येक हितग्राही को यह राशि मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृत की जाती है और जवाब में लिखा है कि औसत राशि बताना संभव नहीं है। मगर इसी सवाल के जवाब में यह भी कहा गया कि 31.12.2022 की स्थिति में इस मद में 164 करोड़ रुपए खर्च किए गए और कुल स्वीकृत प्रकरणों की संख्या 2812 है। यानी इस हिसाब से प्रति स्वीकृत प्रकरण औसत राशि 5.8 लाख रुपए हो जाती है। जबकि पात्रता 2 लाख रुपए तक की ही अधिकतम है। श्री पटवारी का कहना है कि इससे संबंधित अन्य सवालों के जवाब नहीं दिए गए। मगर जो जवाब मिला उसी में बड़ा घोटाला किया जाना स्पष्ट प्रतीत होता है।

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