– मुकुंद
‘…तो रोबोट करेंगे काम, आदमी करेगा आराम’ इस शीर्षक में कुछ भी चौंकाने वाला नहीं है। जी हां, 2023 की आठ जुलाई को इसके संकेत मिल चुके हैं। इसे सनद भी किया जाना चाहिए। इसलिए कि स्विट्जरलैंड के जिनेवा में आठ जुलाई को दुनिया का पहला स्मार्ट रोबोट संवाददाता सम्मेलन हो चुका है। इस संवाददाता सम्मेलन से हम में से बहुतेरे अनजान होंगे। इस संवाददाता सम्मेलन में रोबोट्स के साथ हुए सवाल-जवाब ने इस बात के भी ठोस संकेत दे दिए कि भविष्य की दुनिया कैसी होगी। यह इनसानी दिमाग के लिए हाई वोल्टेज लाइन के करंट के झटके जैसा है। मगर तैयार हो रही रोबोट की भावी रणनीति का सामना तो करना ही होगा। आज नहीं तो कल, यह होकर ही रहेगा। यकीन मान लीजिए, वह समय जल्द आने वाला है। आदमी (सामर्थ्यवान) आराम करेंगे और उनका काम रोबोट करेंगे।
इस पहले संवाददाता सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित 51 रोबोट्स ने वादा किया है कि वे कभी भी इनसानों के खिलाफ बगावत नहीं करेंगे। इस दौरान करीब 3000 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञ भी मौजूद रहे। इन्हीं विशेषज्ञ ने ही उनसे सवाल किए। लगभग सभी सवाल इनसानों पर केंद्रित रहे। सोफिया नाम की रोबोट ने बड़ा संकेत दिया। उसने कहा कि हम दुनिया को इनसानों से बेहतर तरीके से चला सकते हैं। हमारे अंदर इनसान की तरह भावनाएं तो नहीं हैं पर हम फैक्ट्स के आधार पर मजबूत फैसला ले सकते हैं।
सोफिया से पूछा गया कि क्या रोबोट इनसान के खिलाफ बगावत करेंगे? इस पर उसने कहा कि उसे नहीं पता कि आपको ऐसा क्यों लगता है। मुझे बनाने वालों ने मेरे साथ हमेशा अच्छा व्यवहार किया है। मैं इससे खुश हूं। इसके बाद उससे पूछा गया कि क्या तुम्हारी वजह से लोगों की नौकरी को खतरा है? उसने कहा कि मैं लोगों के साथ मिलकर काम करूंगी। मेरी वजह से किसी इनसान की नौकरी को कोई खतरा नहीं होगा। इस दौरान एक सवाल किया गया कि क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक को नियमों के दायरे में लाना चाहिए? इसके जवाब में अन्य रोबोट ने कहा, भविष्य में होने वाले बदलाव पर सबको सतर्क रहने की जरूरत है। इस पर बहस जरूरी है। एक दूसरे रोबोट ने तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खतरे को पूरी तरह खारिज कर दिया। उसने कहा इस तकनीक पर प्रतिबंध की नहीं, उसे अवसर देने की आवश्यकता है। हम इनसानों के साथ मिलकर दुनिया को बेहतर भविष्य दे सकते हैं।
तो मान लीजिए अब मशीन भर नहीं रह गया है रोबोट। इस संवाददाता सम्मेलन में रॉबी नाम का रोबोट चर्चा में रहा। इस रोबोट की तकनीकी खासियत यह है कि उसका डिजाइन इनसानी मांसपेशियों से प्रेरित है। इस रोबोट में 70 जोड़ इंसानी मांसपेशियों से मिलते-जुलते हैं। रॉबी के निर्माता रॉल्फ फाइफर ने कहा-‘ उनकी कोशिश है कि रॉबी नई पीढ़ी के रोबोट्स का दूत बने। वह इनसानों के साथ दोस्ताना तरीके से बातचीत करे। रॉबी को चेहरा फेसबुक पर मतदान के आधार पर मिला है। फाइफर मानते हैं कि एक दिन रोबोट हमारे घरों में जरूर होंगे। यह अभी तय नहीं है कि रोबोट किसी खास काम के लिए होंगे। मगर होंगे जरूर। इसका फैसला निश्चिततौर पर बाजार करेगा।
यूरोपीय संघ में इससे पहले रोबोट से क्या काम लिया जाए पर सर्वे किया जा चुका है। इसमें हिस्सा लेने वाले 60 प्रतिशत लोगों के अनुसार रोबोट को बच्चों को संभालने और बुजुर्गों की देखभाल करने के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कंप्यूटर वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक नियोल शार्की लंबे समय से इस पर शोध कर रहे हैं। वह कहते हैं कि जापान और दक्षिण कोरिया की 14 कंपनियां बच्चों की देखभाल के लिए रोबोट विकसित कर रही हैं। दक्षिण कोरिया में रोबोट का प्रयोग बच्चों को अंग्रेजी सिखाने के लिए तीन साल पहले हो चुका है। दक्षिण कोरिया रोबोट का इस्तेमाल जेल गार्ड के तौर पर भी कर चुका है।
अब इस आहट को महसूस करने का वक्त है। रोबोट की दुनिया बदल चुकी है। अब वह सिर्फ खिलौना नहीं रहा। नियोल शार्की के शोध का निष्कर्ष यह है कि रोबोट वयस्क इनसानों से बेहतर साबित हुए हैं। रोबोट पर कोई आरोप नहीं लगा सकता कि उसने शारीरिक शोषण की भावना के साथ बच्चों को छुआ। इसमें कोई नैतिक झिझक नहीं होगी। कैंब्रिज विश्वविद्यालय के प्रो. पीटर रॉबिन्सन कहते हैं-‘ अगर कोई अपने घर पर ऐसे ताकतवर मशीनी सहयोगी का इस्तेमाल करते हैं तो वह यह गांठ बांध ले कि यह सहयोगी विनाशकारी भी साबित हो सकता है। पीटर रॉबिन्सन की कोशिश है कि उनकी टीम ऐसा रोबोट तैयार करे जो चेहरा पहचान सके। यह भी बता सके कि सामने वाला दर्द में है। खुश है या परेशान।
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