पेरिस (Paris) । फ्रांस (France) की राजधानी पेरिस में लगे प्रतिबंधों को उल्लघंन करते हुए 1000 से अधिक प्रदर्शनकारी एक शोक कार्यक्रम के लिए शहर के मध्य में एकत्र हुए. इसके साथ ही नस्ल या जात (caste) को आधार मानकर किसी शख्स पर अपराध के लिए संदेह करने और पुलिस (Police) की बर्बरता का विरोध करने के लिए पूरे फ्रांस में दर्जनों मार्च आयोजित किए गए. शनिवार को हुई इन रैलियों (rallies) से कुछ दिनों पहले पेरिस के उपनगर में एक किशोर की मौत से फैली हिंसा ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था.
अल जज़ीरा के अनुसार, प्रदर्शनों का आह्वान फ्रांस के एक अश्वेत व्यक्ति अदामा ट्राओरे के परिवार द्वारा किया गया था, जिसकी 2016 में पुलिस हिरासत में ठीक उसी तरह से मौत हो गई थी, जैसा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की गोली लगने से हुई. ट्राओरे की बड़ी बहन असा ट्राओरे पेरिस के बाहर स्मारक मार्च का नेतृत्व करने वाली थीं. हालांकि, एक पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि फ्रांसीसी सड़कों पर हाल की अशांति के बाद ‘तनाव के संदर्भ’ का हवाला देते हुए, सार्वजनिक व्यवस्था के लिए जोखिमों के कारण विरोध प्रदर्शन को प्रतिबंधित कर दिया गया था. ट्राओरे की बहन ने ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में इस फैसले की निंदा की.
वीडियो में उसे यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘सरकार ने आग में घी डालने का फैसला किया है (और) वह मेरे छोटे भाई की मौत का सम्मान नहीं करेगी.’ उन्होंने कहा कि तय कार्यक्रम के बजाय, उन्हें मध्य पेरिस के प्लेस डे ला रिपब्लिक में एक रैली में भाग लेना चाहिए ताकि ‘पूरी दुनिया को बताया जा सके कि हमारे मृतकों को जीवित रहने का अधिकार है, यहां तक कि मृत्यु के बाद भी.’ उन्होंने आगे कहा, ‘वे नव-नाज़ियों को मार्च की अनुमति देते हैं, लेकिन वे हमें मार्च करने की इजाजत नहीं देते हैं. फ्रांस हमें नैतिक शिक्षा नहीं दे सकता. इसकी पुलिस नस्लवादी और हिंसक है.’
गौरतलब है कि 27 जून को यातायात जांच के दौरान 17 वर्षीय नाहेल की हत्या का वीडियो भी सामने आया है. इस घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया है और लोग काफी आक्रोशित हैं. मौत के बाद पेरिस उपनगर में गुस्सा फूट पड़ा और तेजी से पूरे देश में हिंसा भड़क गई. व्यापक हिंसा के बावजूद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने आपात स्थिति की घोषणा नहीं की. वर्ष 2005 में इसी तरह की परिस्थितियों में इस विकल्प का इस्तेमाल किया गया था. इसके बजाए, सरकार छुट्टी पर गए अधिकारियों को बुलाने के साथ सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने पर जोर दे रही है.
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