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    बेजुबानों की कौन बनेगा जुबान ?

  • July 07, 2023

    • गांव से लेकर सड़कों में कुचले जा रहे, लेकिन कोई नहीं है इनकी आवाज को उठाने वाला ?

    रीवा। शहर की सड़कों से लेकर नेशनल हाईवे में अपनी पनाह पाने वाले बेजुबान जानवरों को कहीं भी कभी भी कुचल दिया जाता है चाहे वह वाहनों के पहियों में काटे जाएं अथवा किसानों की कुल्हाड़ियों का शिकार बन जाए लेकिन उनके लिए ना तो शासन है और ना ही प्रशासन। केवल नियमों का और प्रशासनिक आदेश का बंदोबस्त बन गए हैं यह बेजुबान। कभी गौशाला के नाम पर इनके लिए खरौदे बनाने की वाहवाही लूटी जाती है तो कभी इन्हें पालने के लिए हजारों का प्रलोभन दिया जाता है इसके बाद भी आखिर इन्हें सड़कों पर क्यों रौद दिया जाता है यह सवालिया निशान उठने लगा है।

    नन्हे नन्हे बेजुबान अपनी मां की कोख में सुकून से सड़कों में और गांव की गलियों में सोते हुए देखे जा सकते हैं लेकिन सुबह होते ही इनके चिथड़े नजर आते हैं लेकिन इनकी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई गंभीर नहीं है ? बड़े ही दुख का विषय है की इनके पालको को इसका जिम्मेदार ठहराया जाता है लेकिन पालक से ज्यादा इसके जिम्मेदार कौन हैं? इस विषय पर विचार नहीं किया जा रहा है। अगर सरकारें गौशाला बना रही हैं तो इन गौशालाओं में केवल वही बेजुबान पाले जा रहे हैं जो योजनाओं के लिए दुधारू हैं क्या इन दुधारू माताओं के नन्हे नन्हें बेजुबान बच्चे इस व्यवस्था में नहीं आते? उल्लेखनीय है की कभी इन्हें व्यवस्था के नाम पर साया दिए जाने का ढोल पीटा जाता है लेकिन इसके बाद भी यह सड़कों पर और गांव की गलियों पर अंतिम सांसे लेते देखे जा सकते हैं। सरकार के पास जन जन के रिकार्ड उपलब्ध है लेकिन इन वेजुवानो के रिकॉर्ड क्यों उपलब्ध नहीं है ? यह बहुत ही गंभीर विषय है।

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