नई दिल्ली (New Delhi) । भारत (India) की अध्यक्षता में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की मंगलवार को होने वाली बैठक में पाकिस्तान (Pakistan) को आतंकवाद के मुद्दे (terrorism issues) पर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। एससीओ की बैठक (SCO meeting) में आतंकवाद हमेशा एक महत्वपूर्ण मुद्दा होता है और यह तय माना जा रहा है कि भारत इस मसले पर आक्रामक रुख अपनाएगा।
पाकिस्तान में भी कुछ निष्पक्ष समूहों की ओर से ऐसी संभावना जताई जा रही है कि उसे अंतरराष्ट्रीय एवं एससीओ जैसे क्षेत्रीय मंचों से अलग-थलग किया जा सकता है। भारत के बढ़ते प्रभाव के चलते हो सकता है कि भविष्य में पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर चीन से भी समर्थन न मिले।
पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे टी. ए. राघवन ने कहा कि एससीओ बैठक में निर्णय आम सहमति से होते हैं, लेकिन आतंकवाद एक ऐसा मुद्दा है जिस पर भारत समेत सभी देश चिंता जाहिर करते हैं। भारत ने पूर्व में भी हमेशा इस मुद्दे को उठाया है और इस बार भी यह मसला उठेगा। हालांकि, राघवन ने कहा कि इससे एससीओ में पाकिस्तान की सदस्यता पर किसी प्रकार के प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रभाव की अटकलें निराधार हैं।
वहीं, रक्षा विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी ने कहा कि भारत तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाक प्रायोजित आतंकवाद के मुद्दे को सफलतापूर्वक उठाता रहा है। इसके चलते पाकिस्तान की पूरी दुनिया में एक ऐसे राष्ट्र की छवि बन चुकी है, जो आतंक को आश्रय देता है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से उसे बेल आउट पैकेज मिलने में छह महीने से भी अधिक का वक्त लग गया।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की हरकतें जारी हैं, लेकिन यह भी सच्चाई है कि वह मौजूदा हालात में अपनी बिगड़ी छवि को लेकर डरा हुआ है। इसकी वजह यह है कि भारत की मित्रता अमेरिका और रूस दोनों से लगातार प्रगाढ़ हो रही है। चीन भी भारत को लेकर संतुलित दृष्टिकोण अपना रहा है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स के प्रोफेसर स्वर्ण सिंह के अनुसार, चूंकि एससीओ की बैठक वर्चुअल तरीके से हो रही है, इसलिए इस दौरान दो देशों के बीच अक्सर होने वाली द्विपक्षीय बैठकें नहीं हो पाएंगी। मगर, वर्चुअल माध्यम से जब भारत आतंकवाद से जुड़ा मुद्दा उठाएगा तो उस समय बाडी लैंग्वेज महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने कहा कि जहां तक पाकिस्तान को एससीओ से अलग-थलग किए जाने का सवाल है तो भारत की कोशिश यह होगी कि पाकिस्तान में स्थिरता कायम हो और अंतररराष्ट्रीय मंचों के जरिए उस पर दबाव बना रहे।
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