नई दिल्ली (New Delhi) । गले तक कर्ज में डूबा पाकिस्तान (Pakistan) लगातार अपनी अर्थव्यवस्था (economy) को सुधारने के लिए भीख का कटोरा लेकर आईएमएफ (IMF) के दरवाजे पर पहुंचा था। 6.5 अरब डॉलर के कर्ज की पेशकश करने वाले पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान (international financial institution) से 3 अरब का कर्ज मिला है। पाकिस्तान को इस कर्ज की काफी वक्त से दरकार थी। पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने कर्ज पाने के लिए एंडी-चोटी का जोर लगा दिया था। अब ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति से शहबाज शरीफ उकता गए हैं। प्रधानमंत्री के होने के नाते यह पद उनके लिए एक कांटों भरा ताज जैसा हो गया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने ऐलान किया है कि वह अपने कार्यकाल के अंत में सरकार छोड़ देंगे। लाहौर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शाहबाज शरीफ ने साफ संदेश में कहा कि चुनाव की घोषणा करना और कराना चुनाव आयोग का काम है, संविधान के मुताबिक यह काम चुनाव आयोग को करना है।
उन्होंने कहा कि अगर चुनाव में किसी और को मौका मौका मिलेगा तो हम पूरा सहयोग करेंगे, अगर हम ‘तुम’ और ‘मैं’ को छोड़कर ‘हम’ नहीं बनेंगे तो पाकिस्तान का विकास नहीं होगा। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि आईएमएफ के साथ समझौते से रातों-रात महंगाई कम नहीं होगी, महंगाई को नकारना खुद के साथ एक धोखा है. शाहबाज शरीफ ने कहा कि सीनेट के चेयरमैन ने खुद कहा है कि वह प्रोत्साहन बढ़ाने वाले बिल को वापस ले लेंगे, आईएमएफ का कार्यक्रम अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए घी या मिठाई नहीं है।
पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति की बात करें तो महंगाई चरम पर पहुंच गई है। वहां आटा चावल का दाम आसमान छू रहा है। स्थिति ऐसी है एयरलाइन्स को भी चलाने के लिए पड़ोसी के पास पैसे कम पड़ रहे हैं। अपना खर्च चलाने के लिए पाकिस्तान ने अपने काबिल दोस्त – चीन, सऊदी अरब और यूएई से कर्ज ले चुका है। ऐसे में आईएमएफ से भी पाकिस्तान ने कर्ज ले लिया। मुश्किल हालात से गुजर रही पाकिस्तान की इकॉनमी लगातार गर्त में जा रही है। पाकिस्तान वित्तीय सहायता लेकर खुद को डिफॉल्ट होने से बचाने की कोशिश कर रहा है। वहीं शहबाज शरीफ को इस बात की आशा है कि पाकिस्तान को अब और कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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