नई दिल्ली। वियतनाम के बाद अब फिलीपींस के विदेश मंत्री के अचानक भारत दौरे की बात सुनकर चीन को दौरा पड़ने लगा है। वजह साफ है कि वियतनाम और फिलीपींस दोनों ही देश चीन के दुश्मन हैं और वह भारत से अपनी दोस्ती को मजबूत कर रहे हैं। अभी दो हफ्ते पहले ही वियतनाम को भारत ने दक्षिण-चीन सागर में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए युद्धपोत गिफ्ट में दिया है। इससे चीन पहले से बौखलाया है। अब जब चीन का दूसरा दुश्मन भी भारत आ रहा है तो शी जिनपिंग की हवा खराब होना तय है। ड्रैगन को अब एहसास हो रहा है कि वियतनाम और फिलीपींस की मदद करके भारत उसे दक्षिण चीन सागर में घेर रहा है।
बता दें कि फिलीपींस के विदेश मंत्री एनरिक ए मनालो आज से चार दिवसीय यात्रा पर भारत में रहेंगे। इस दौरान दोनों देशों के बीच निवेश एवं कारोबार, नौवहन सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन सहित द्विपक्षीय सहयोग को प्रगाढ़ बनाने को लेकर चर्चा होगी। विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, मनालो की यात्रा से भारत और फिलिपीन को अपने द्विपक्षीय संबंधों की समग्र समीक्षा करने और अपने सहयोग को अधिक प्रगाढ़ बनाने के रास्ते तलाशने का अवसर मिलेगा। इसमें कहा गया है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और मनालो द्विपक्षीय सहयोग पर भारत-फिलिपींस संयुक्त आयोग की पांचवीं बैठक की 29 जून को सह अध्यक्षता करेंगे।
रक्षा, सुरक्षा और नौवहन सहयोग पर फोकस
फिलीपींस के विदेश मंत्री मनालो, जयशंकर के निमंत्रण पर भारत आ रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि बैठक में दोनों पक्ष राजनीतिक, रक्षा, सुरक्षा, नौवहन सहयोग, कारोबार एवं निवेश, स्वास्थ्य एवं पर्यटन सहित द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण आयामों की समीक्षा करेंगे। बयान के अनुसार, दोनों पक्ष आपसी हितों से जुड़े क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। फिलीपींस के विदेश मंत्री मनालो 42वें सप्रू हाउस व्याख्यान को संबोधित करेंगे । यह फिलीपींस के विदेश सेवा संस्थान और विश्व मामलों की भारतीय परिषद के बीच समझौता ज्ञापन के तहत संयुक्त परियोजना है। वियतनाम और फिलीपींस को भारत दक्षिण चीन सागर में मजबूत करने में जुटा है। यह बात चीन को बुरी लग रही है।
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