वॉशिंगटन। अमेरिका में भारत के साथ संबंधों को कितनी अहमियत दी जा रही है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिकी संसद में एक द्विदलीय प्रस्ताव पेश किया गया है, जिसमें मांग की गई है कि भारत को हथियार बेचने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। इस प्रस्ताव का उद्देश्य भारत-अमेरिका के संबंधों को मजबूत करना और हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र की सुरक्षा को मजबूत करना है।
इन सांसदों ने प्रस्ताव किया पेश
इस प्रस्ताव को भारतीय अमेरिकी मूल के डेमोक्रेटिक सांसद राजा कृष्णमूर्ति, रो खन्ना और मार्क वीसे के साथ ही रिपब्लिकन पार्टी के सांसद एंडी बार और माइक वाल्ट्ज ने संसद में पेश किया। इस प्रस्ताव के समर्थन में एक और सहयोगी प्रस्ताव पेश किया गया है, जिसे डेमोक्रेटिक सांसद मार्क वार्नर और रिपब्लिकन सांसद जॉन कोर्निन ने पेश किया है। प्रस्ताव को लेकर एंडी बार के कार्यालय ने अपने बयान में कहा है कि ‘यह प्रस्ताव भारत को अमेरिका के अन्य करीबी सहयोगियों के बराबर खड़ा कर देगा। साथ ही इस प्रस्ताव से आर्म्स एक्सपोर्ट कंट्रोल एक्ट की फॉरेन मिलिट्री सेल्स (FMS) नीति के तहत हथियारों की बिक्री तेजी से और आसानी से हो सकेगी।’
क्या होता है द्विदलीय प्रस्ताव
बता दें कि जब सदन में दोनों दलों के सदस्य मिलकर कोई प्रस्ताव पेश करते हैं तो उसे द्विदलीय प्रस्ताव कहा जाता है। यह द्विदलीय प्रस्ताव ऐसे समय अमेरिकी संसद में पेश किया गया है, जब हाल ही में पीएम मोदी अमेरिका का अपना सफल दौरा पूरा करके भारत लौटे हैं। इस दौरे पर ही अमेरिका और भारत के बीच फाइटर जेट विमान के इंजन बेचने संबंधी कई अहम सौदों को मंजूरी मिली है।
भारत को मिलेगा फायदा
प्रस्ताव पेश करने वाले भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद कृष्णमूर्ति ने कहा कि आर्म्स एक्सपोर्ट कंट्रोल्स एक्ट के तहत अमेरिका के सहयोगी देशों के जल्द और आसानी से हथियार बेचे जाते हैं। अब भारत को भी उन सहयोगियों में शामिल करने से भारत-अमेरिका के संबंध मजबूत होंगे। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के पास होने के बाद भारत को सभी जरूरी हथियार मिल सकेंगे। कृष्णमूर्ति ने कहा कि भारत और अमेरिका के मजबूत संबंध ना सिर्फ दोनों देशों के लिए अच्छे हैं बल्कि यह पूरी दुनिया के लोकतंत्र के लिए अच्छी बात है।
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