इन्दौर। पीपल्याहाना तालाब के पास खाली पड़ी शासकीय तीन एकड़ से ज्यादा जमीन पर कब्जेधारियों की निगाहें थीं। इसके पहले ही निगम ने भोपाल से दो करोड़ की राशि मंजूर कराकर वहां काम शुरू करा दिया और अब वहां हरा-भरा सिटी फारेस्ट नजर आने लगा है। शुरुआती दौर में दस हजार से ज्यादा विभिन्न प्रजातियों के बड़े पौधे लगाए गए हैं और आने वाले दिनों में 40 से 50 हजार पौधे और लगाने की तैयारी है।
नगर निगम द्वारा शहर के कई झोनों के अंतर्गत खाली पड़ी जमीनों की पड़ताल करने का काम किया जा रहा है, ताकि वहां हॉकर्स झोन से लेकर अन्य कार्य किए जा सके। पिछले दिनों पीपल्याहाना तालाब के समीप खाली पड़ी तीन एकड़ से ज्यादा शासकीय जमीन का पता चला तो वहां की जमीन सिटी फारेस्ट बनाने की योजना तैयार की गई और प्रशासन से मंजूरी के बाद वहां काम शुरू करा दिया गया। इसके लिए अपर आयुक्त दिव्यांकसिंह ने एक टीम बनाकर वहां होने वाले कार्यों की रूपरेखा तैयार कराई। इसके लिए टीम भोपाल में मप्र प्रदूषण निवारण बोर्ड के आला अधिकारियों से मिलने पहुंची और वहां से दो करोड़ की राशि मंजूर कराई गई।
इसकी पहली किश्त के रूप में निगम को एक करोड़ मिल चुके हैं, जिससे सिटी फारेस्ट में कई कार्य कराए जा रहे हैं। सिटी इंजीनियर दिलीपसिंह चौहान, प्लानर रूपल चोपड़़ा, निगम अधिकारी हरीश कारपेंटर के अनुसार वहां अब तक दस हजार से ज्यादा बड़, पीपल, गूलर, नीम, आंवला सहित विभिन्न प्रजातियों के बड़े पौधे लगाए जा चुके हैं और आने वाले दिनों में वर्षाकाल के दौरान करीब 40 से 50 हजार और पौधे लगाए जाएंगे। इसके साथ ही वहां लोगों के लिए कच्चा पाथवे बनाया जा रहा है। यह प्रयोग अब इन्दौर में अब तक कहीं भी नहीं हुआ है, वहीं लकड़ी के गजीबो बनाने के साथ-साथ लकड़ी की कुर्सी-टेबलें सिटी फारेस्ट में लगाई जाएंगी।
वायु गुणवत्ता सुधार के लिए मिली राशि
अधिकारियों के मुताबिक अब तक अमूमन उद्यानों के मामलों में नगर निगम अपने स्तर पर ही कार्य करता रहा है, लेकिन पहली बार वायु गुणवत्ता सुधार के लिए नगर निगम को दो करोड़ की राशि मप्र प्रदूषण निवारण बोर्ड द्वारा दी गई। इसके लिए पूरी टीम ने वहां जाकर प्रेजेन्टेशन दिया था और इसी प्रकार के और भी सिटी फारेस्ट बनाने की तैयारी है।
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