इंदौर (Indore)। बाघ और तेंदुओं के पदचिन्हों यानी पंजे के निशानों का पीछा करते-करते वन विभाग का अमला अभी तक लगभग 12 हजार हेक्टेयर तक फैले महू के जंगलों में से 1000 हेक्टेयर जंगल की खाक छान चुका है। आसपास के सभी गांवों में मुनादी पिटवा दी है। 24 घण्टे पेट्रोलिंग की जा रही है। ड्रोन का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, मगर विभाग को कोई सफलता हाथ नहीं लगी। इससे साबित होता है कि सम्भवत: बाघ और तेंदुए जंगल की ओर निकल गए हैं।
मेलेंडी गांव के बुजुर्ग के शिकार के बाद लोगों को लगा था कि अब वन विभाग का अमला बाघ को पकडऩे के लिए युद्ध स्तर पर मुहिम चलाएगा, मगर ऐसा कुछ नजर नहीं आता, बल्कि अधिकारियों का कहना है कि गांव के रहवासी जंगल से दूर रहें, इसी में उनकी सुरक्षा है।
अग्निबाण से वनसंरक्षक नरेंद्र पंडवा की बातचीत
– लगभग डेढ़ माह से महू रेंज इलाके में आदमखोर बाघ व तेंदुओं की मौजूदगी के चलते रहवासियों में ख़ौफ़ और खतरा बरकरार है। बाघ एक बुजुर्ग का शिकार भी कर चुका है, मगर 45 दिन बाद भी आपका विभाग खाली हाथ है, आखिर कब पकड़ में आएंगे आदमखोर बाघ और तेंदुए?
– वन विभाग का काम है… वन्यजीवों को रहवासी इलाकों से दूर रखना, न कि वन्यजीवों को पकडऩा। वन्यजीव जब रहवासी इलाको में घुस जाते हैं, तब उन्हें पकडक़र जंगल में छोडऩा रेस्क्यू टीम की जिम्मेदारी होती है।
– रहवासी इलाकों में बाघ व तेंदुओं की मौजूदगी की खबर के बाद से ही 24 घण्टे सातों दिन वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी डेढ़ माह से लगातार जंगल से सटे गांवों में मुनादी पिटवा कर अपने पालतू जानवर अथवा मवेशियों को जंगल में नहीं ले जाने की अपील करने के अलावा सूर्यास्त के पहले व बाद में जंगल में जाने से रोक रहे है?
– बारिश के मौसम में हरियाली बढ़ते ही खतरा भी कम होने लगता है। जंगल में पतझड़ के दौरान छोटे-मध्यम-बड़े वन्यजीवों को दूर -दूर तक नजर आने लगता है। इस कारण छोटे वन्यजीव बड़े वन्यजीवों के पकड़ में नही आते। इसके अलावा गर्मी के दिनों में जलस्रोत सूख जाते है ं। इसलिए शिकार और पानी की तलाश में भटकते -भटकते बड़े वन्यजीव रहवासी इलाको में आ जाते हैं। अब बारिश का मौसम शुरू हो गया है, इसलिए हरियाली के चलते वन्यजीवों को जंगल में ही शिकार और पानी मिलने लगेगा तो वन्यजीव जंगली इलाकों में चले जाते है।
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