इंदौर-अकोला फोर लेन प्रोजेक्ट के सबसे जटिल सेक्शन में तेजी से हो रहा काम
इन्दौर। इंदौर-अकोला फोर लेन प्रोजेक्ट (Indore-Akola Four Lane Project) के तहत सिमरोल की एक सुरंग बनकर तैयार हो गई है। वहां आने-जाने के लिए तीन-तीन लेन की दो सुरंगों का निर्माण हो रहा है। दूसरी सुरंग 30 जून तक बनाने का लक्ष्य है। फोर लेन प्रोजेक्ट के तहत सिमरोल में 300 और बाईग्राम में 480 मीटर लंबी (आने-जाने के लिए अलग-अलग) सुरंग का निर्माण हो रहा है। बाईग्राम में भी दोनों सुरंगें बनाने का काम तेजी से हो रहा है। कांट्रेक्टर कंपनी चाहती है कि मानसून आने से पहले सुरंग बनाने का ज्यादातर काम पूरा हो जाए।
सुरंग बनने से घाट सेक्शन की लंबाई आठ किलोमीटर तक घट जाएगी और ट्रैफिक कंजेशन (traffic congestion) से वाहन चालकों को निजात मिलेगी। अभी घाट सेक्शन में तीखे घुमाव और संकरे रास्ते के कारण आए दिन ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाएं होती हैं। साल के अंत तक दोनों सुरंगों का निर्माण पूरा होने की उम्मीद है। फोर लेन हाईवे पर सिक्स लेन सुरंग इसलिए बनाई जा रही है, ताकि भविष्य में जब भी हाईवे को चौड़ा करना पड़े तो सुरंग चौड़ी न करना पड़े।
सिमरोल से भेरूघाट के बीच हाईवे के लिए अब तक काटे 5000 पेड़
इंदौर-अकोला फोर लेन प्रोजेक्ट (Indore-Akola Four Lane Project) के तहत सिमरोल से भेरूघाट के बीच अब तक लगभग 5000 पेड़ काटे जा चुके हैं। प्रोजेक्ट के तहत इंदौर और खरगोन रेंज को मिलाकर कुल 12000 पेड़ कटना हैं। इनमें से इंदौर वन क्षेत्र के 9000 और खरगोन वन क्षेत्र के 3000 पेड़ शामिल हैं। कांट्रेक्टर कंपनी मेधा इंजीनियरिंग का लक्ष्य है कि जल्द से जल्द ज्यादा से ज्यादा पेड़ काट दिए जाएं। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इंदौर क्षेत्र में पेड़ काटने की अनुमति तो पहले मिल चुकी है, लेकिन खरगोन क्षेत्र में पेड़ कटाई की अनुमति अभी नहीं मिली है। पेड़ हटने के बाद खाली हुई जमीन पर फोर लेन हाईवे के लिए अर्थवर्क और पुल-पुलियाओं के निर्माण का काम शुरू होगा। 2024 तक तेजाजीनगर से बलवाड़ा के बीच फोर लेन हाईवे का काम पूरा करने का लक्ष्य है।
12 किमी लंबे सेक्शन में से हटेंगे पेड़
अफसरों का कहना है कि हाईवे के लिए जिन 12000 पेड़ों को काटा जा रहा है, वे 12 किलोमीटर लंबे घाट सेक्शन में लगे हैं। चूंकि फोर लेन रोड के लिए हाईवे का अलाइनमेंट बदलकर एकदम नई जगह से सडक़ बनाई जा रही है, इसलिए पेड़ हटाना पड़ रहे हैं। इसके लिए वन विभाग से सभी जरूरी अनुमतियां प्राप्त करने के बाद नियमानुसार काम किया जा रहा है।
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