पटना (Patna) । बिहार (Bihar) की राजधानी पटना में कल विपक्षी एकता (opposition unity) को लेकर बड़ी बैठक (meeting) होने जा रही है. इसकी मेजबानी सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) कर रहे हैं. इस अहम मीटिंग के लिए कई विपक्षी पार्टियों के नेता पटना पहुंच गए हैं. इसी क्रम में टीएमसी की प्रमुख और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) आज लालू यादव (Lalu Yadav) से मुलाकात करने के लिए पहुंचीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि लालू जी पूरी तरह से स्वस्थ हैं, उनको देखकर बहुत खुशी हो रही है. लालू जी और हमारे संबंध बहुत मधुर रहे हैं. कल होने वाली बैठक में क्या कुछ होगा, आज नहीं कह सकते हैं. बस हम लोग यह तय करने आए हैं कि सब लोग एक साथ मिलकर लड़ेंगे और जीतेंगे. बाकी बातों का जवाब कल बैठक के बाद देंगे.
ममता ने लालू से मुलाकात के बाद कहा कि हमारा कनेक्ट फैमिली की तरह है. मैं लालू जी का बहुत सम्मान करती हूं, राबड़ी देवी, लालू से मुलाकात के बाद मैं खुश हूं. वह एक वरिष्ठ नेता हैं. वह कई दिनों तक जेल और अस्पताल में थे. लालू यादव अभी भी फिट हैं और वह बीजेपी के खिलाफ लड़ सकते हैं.
ममता ने कहा कि विपक्षी नेता “एक परिवार की तरह” एक साथ भाजपा से लड़ने के लिए पटना में एकत्र हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम यहां इसलिए आए हैं क्योंकि हम एक साथ लड़ेंगे, हम एक परिवार की तरह लड़ेंगे. इस दौरान उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी भी साथ थे.
कांग्रेस बोली- बीजेपी को हराने पर चर्चा करना जरूरी
वहीं, बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष और सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि अरविंद केजरीवाल का ऑर्डिनेंस का मुद्दा मुख्य मुद्दा नहीं है. हालांकि ये संभव है कि इस बैठक में इस पर चर्चा हो. लेकिन असली मुद्दा ये है कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कैसे हराया जाए. उस पर चर्चा करना जरूरी है.
विपक्ष की बैठक में क्या होगा?
नीतीश के निमंत्रण के बावजूद नवीन पटनायक, देवगौड़ा, केसीआर और जगनमोहन मीटिंग में शामिल नहीं हो रहे हैं. जानकारी के मुताबिक बैठक सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक चलेगी. बैठक में बीजेपी के खिलाफ लड़ाई जारी रखने के लिए संयुक्त रणनीति पर चर्चा होगी. जानकारी के मुताबिक बैठक में विपक्ष के संयुक्त कैंडिडेट पर कोई चर्चा नहीं होगी, यह फैसला बाद में किया जाएगा.
जेडीयू ने कहा- अध्यादेश मुख्य मुद्दा नहीं
उधर, जेडीयू सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी का इरादा ठीक नहीं है. कल होने वाली मीटिंग दिल्ली के अध्यादेश पर नहीं है. अभी इसमें समय है और उससे पहले देश के सामने कई बड़े मुद्दे हैं. मीडिया में खबरें लीक कर दबाव डालना ठीक नहीं है. बैठक में राज्यों के मुद्दे उठाने के बजाए राष्ट्रीय मुद्दों को तरजीह देनी चाहिए. साथ ही कहा गया है कि राज्यों के मुद्दे उठाने से आपस में टकराव हो सकता है.
जानकारी के मुताबिक बैठक में जितने दल आ रहे उनमें कांग्रेस के अलावा बाक़ी सभी दलों ने दिल्ली अध्यादेश के मुद्दे पर केजरीवाल को समर्थन दिया है.कांग्रेस ने हां या ना नहीं कहा, उससे अलग से चर्चा हो सकती है. लेकिन इसे प्रमुख मुद्दा बनाकर बैठक का एजेंडा तय करना मंशा पर सवाल उठाता है. अरविंद केजरीवाल अब से कुछ देर में पटना पहुंच रहे हैं. ऐसे में बैठक से पहले इस तरह की खबर मीडिया में देना कि अगर कांग्रेस अध्यादेश का विरोध का आश्वासन नहीं देगी, तो मीटिंग से वॉकआउट करेंगे, सही संदेश नहीं देता है.
क्या है बीजेपी का कहना?
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि विपक्षी एकता की कवायद का कोई अर्थ नहीं है. हरेक दल अपने राज्य में ही सीमित है. नीतीश अपनी नाकामी पर पर्दा डालने के लिए ये सब कर रहे हैं. इसका कोई नतीजा नहीं निकलेगा. मणिपुर हिंसा पर सर्वदलीय बैठक के आयोजन पर आरके सिंह ने कहा कि हिंसा की साजिश के पीछे शरारती तत्वों की पहचान की जा रही है. मीटिंग में देरी के आरोप पर उन्होंने कहा कि गृहमंत्री पहले भी वहां कई दिन रहकर खुद स्थिति पर निगरानी रख चुके हैं. वह दोबारा से मणिपुर जाएंगे. आरके सिंह ने कहा कि सोनिया गांधी कह रही हैं कि वह मणिपुर की हालत को लेकर चिंतित हैं. अगर वह चिंतित हैं तो सर्वदलीय बैठक में आकर अपनी बात रखें.
एक फ्रेम में नजर आएंगे ये बड़े नेता
यह पहली बार होगा कि राहुल गांधी, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, शरद पवार, एमके स्टालिन, फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, उद्धव ठाकरे, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, सीताराम येचुरी, डी राजा ‘हम साथ साथ हैं’ के संदेश के साथ एक ही फ्रेम में नजर आएंगे. इस तरह की बड़ी विपक्षी एकता 2018 में कर्नाटक के सीएम के रूप में एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान देखी गई थी. यह एकता कब तक बनी रहेगी, इसे देखना दिलचस्प रहेगा.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved