– डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा
मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में भारत आज दुनिया के देशों का पसंदीदा डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। भारत की इस क्षेत्र में शीर्ष 6 देशों में गिनती होने लगी है। दरअसल चिकित्सा क्षेत्र में भाारत ने विश्वस्तरीय चिकित्सा सेवा को लेकर अपनी विशिष्ठ पहचान बनाई है। हमारे देश के 38 चिकित्सा संस्थानों को जेसीआई द्वारा मान्यता प्राप्त है तो चैन्नई, मुंबई, बेंगलुरु, अहमदाबाद और दिल्ली मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में अपनी इंटरनेशनल पहचान बना चुके हैं। आज बेंगलुरु आईटी राजधानी के साथ ही वेलनेस सेंटर के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। एक मोटे अनुमान के अनुसार चिकित्सा, तंदुरुस्ती और आईवीएफ चिकित्सा के लिए दुनिया के 78 देशों से दो मिलियन लोग उपचार के लिए हर साल आने लगे हैं।
2020 में भारत में चिकित्सा पर्यटन क्षेत्र से करीब नौ बिलियन अमेरिकी डॉलर की आय हुई है तो इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुसार 2026 तक मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र से लगभग डेढ़ गुणा 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। देखा जाए तो मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में भारत के आकर्षण का केन्द्र बनने के कई प्रमुख कारण है। एक तो भारत में चिकित्सा सेवाएं जिसमें मेडिकल और पैरामेडिकल दोनों सेवाएं सस्ती होने के साथ ही इंटरनेशनल लेवल की हैं। दूसरी यह कि भाषा को लेकर भी कोई समस्या नहीं हैं क्योंकि भारत के चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग धाराप्रवाह अंग्रेजी बोल भी लेते हैं तो समझते भी हैं। इसके साथ ही चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की परंपरागत छवि का भी सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। अब आवश्यकता इस इमेज को बनाए रखते हुए इस क्षेत्र का दोहन करते हुए अधिक से अधिक लोगों को आकर्षित कर विदेशी आय भी प्राप्त करना है।
देखा जाए तो भारतीय डॉक्टरों की इंटरनेशनल स्तर पर अपनी पहचान है। आज दुनिया के देशों में खासतौर आईपीडी देशों में 75 हजार भारतीय डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनमें से 15 हजार से अधिक डॉक्टर्स तो अमेरिका में ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसी तरह से भारतीय पैरामेडिकल कार्मिक खासतौर से नर्सिंग क्षेत्र में अपनी अलग ही पहचान रखते हैं। एक समय था जब केरल की नर्सों की दुनिया के अधिकांश देशों में मांग देखी जाती थी। आज भी भारतीय मेडिकल और पैरामेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों के व्यवहार, कार्यशैली, काम के प्रति प्रतिबद्धता और उच्च नैनिक मानदंडों की पालना के कारण सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। जब विदेशों में ही भारत के मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों की अलग पहचान है तो दूसरी ओर देश के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों ने अपनी सेवाओं के बदौलत पहचान बनाई है।
विदेशियों के भारत में मेडिकल टूरिज्म के प्रति आकर्षण के अन्य कारणों के साथ ही भारत की समग्र चिकित्सा पद्धति भी एक कारण है। आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, होम्योपैथी, यूनानी, तिब्बती और सिद्ध पद्धति की चिकित्सा सुविधा में विशेषज्ञता हासिल होने से लोग भारत को प्राथमिकता देने लगे हैं। अन्य देशों की तुलना में हमारे यहां चिकित्सा सुविधाएं सस्ती हैं तो सेवाएं भी इंटरनेशनल स्तर की होने से लोग आकर्षित होने लगे हैं। एक ही स्थान पर बहुआयामी चिकित्सा सुविधा प्राप्त हो जाती है। देखा जाए तो आज दुनिया के देशों में मानसिक बीमारियों की अधिकता है और भारतीय परंपरागत चिकित्सा पद्धति और योग ध्यान आदि के माध्यम से मानसिक विकारों का आसानी से इलाज हो सकता है। योग के महत्व को तो अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकारा जा चुका है। इसके साथ ही आधुनिकतम चिकित्सा पद्धति में भी भारतीय चिकित्सकों को महारत हासिल होती जा रही है। अभी हाल ही में कोविड के दौरान भारत ने जिस तरह से दवा और टीके उपलब्ध कराकर दुनिया के देशों में अपना लोहा मनवाया है उससे लोगों का और अधिक विश्वास बढ़ा है। जहां तक रोगनिरोधक टीकों का प्रश्न है तो उनकी उपलब्धता और वितरण में भारत दुनिया के देशों में शीर्ष पर है।
मेडिकल टूरिज्म का सीधा अर्थ यह है कि जब कोई अपने इलाज के लिए किसी दूसरे देश में जाता है तो वह मेडिकल टूरिज्म कहलाता है। वैसे यह माना जाता रहा है कि मेडिकल टूरिज्म के रूप में फ्रांस सबसे अग्रणी है तो सिंगापुर और थाईलेंड भी दुनिया के देशों के पंसदीदा स्थान है। अब मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में हमारे देश की ओर लोगों का झुकाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सरकार को भी मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में ठोस प्रयास करने होंगे। इसके लिए सबसे पहले तो मेडिकल वीजा व्यवस्था को सरल और सुगम बनाना होगा। इसके साथ ही इंश्योरेंस सुविधाओं को बेहतर बनाना होगा।
दरअसल विदेशों से मेडिकल टूरिज्म पर आने वाले लोगों के सामने विदेशी इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा कैशलेस या इंश्योरेंस सुविधा प्राप्त करना परेशानी का कारण है। ऐसे में मेडिकल क्षेत्र में इंश्योरेंस करने वाले संस्थानों से समन्वय व संवाद कायम कर सुविधाएं प्राप्त करनी होंगी। इसके साथ ही सरकार को भारतीय मेडिकल सुविधाओं की विदेशों में योजनाबद्ध तरीके से मार्केटिंग करनी होगी ताकि भारत को दुनिया का प्रमुख मेडिकल डेस्टिनेशन बनाया जा सके। इसके लिए सरकार के साथ ही विदेशों में कार्यरत गैरसरकारी संस्थाओं को आगे आना होगा। जिस तरह से आज भारत प्रमुख पर्यटन केंद्र बन चुका है ठीक उसी तरह से मेडिकल क्षेत्र में भी लोगों को आसानी से आकर्षित किया जा सकता है। बस इसके लिए समग्र और समन्वित प्रयास करने होंगे।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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