नई दिल्ली: एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक को इंसानों के दिमाग में चिप लगाने की मंजूरी मिल गई है. पिछले महीने न्यूरालिंक को यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने की मंजूरी मिलती थी. अब खबरें सामने आ रही हैं कि इस प्रजेक्ट का पहला ह्यूमन ट्रायल इसी साल पूरा हो सकता है. कंपनी के को-फाउंडर एलन मस्क ने एक इवेंट में कहा कि इस प्रोजेक्ट का पहला ट्रायल इस साल के अंत में शुरू हो जाएगा. हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि इस ट्रायल में कितने लोगों को शामिल किया जाएगा और यह कब तक चलेगा.
बताया जाता है कि अगर न्यूरालिंक के इस प्रोजेक्ट को सफलता मिलती है तो इस टेक्नोलॉजी से खासकर उन लोगों को फायदा होगा जो पैरालिसिस, नेत्रहीन, मेमोरी लॉस या न्यूरो संबंधित बीमारी से जूझ रहे हैं. लेकिन यह भी बताया जा रहा है कि अगर क्लीनिकल ट्रायल सफल भी हो जाता है तो मस्क को इंसानों के दिमाग में चिप लगाने का कमर्शियल लाइसेंस मिलने में एक दशक से ज्यादा का समय लग जाएगा.
क्या है न्यूरालिंक?
अगर आपको भी नहीं पता कि न्यूरालिंक क्या है, तो ये एक अमेरिकी कंपनी है जो न्यूरोटेक्नोलॉजी पर काम कर रही है. इस कंपनी को एलन मस्क ने 2016 में लॉन्च किया था. फिलहाल कंपनी एक ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है जिसमें इंसानों के दिमाग में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस समर्थित चिप को इम्प्लांट किया जा सकेगा. इस चिप को कंप्यूटर की मदद से सिग्नल भेजा जाएगा. कंपनी का दावा है कि चिप की मदद से इंसानों में कई बिमारियों का पता पहले लगाया जा सकता है और वक्त रहते उन बिमारियों का इलाज संभव होगा.
ये टेक्नोलॉजी उन लोगों के लिए सबसे अधिक फायदेमंद साबित होगी जो पैरालिसिस या किसी तरह की डिसेबिलिटी से जूझ रहे हैं. न्यूरालिंक ने इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए 2022 में एफडीए (FDA) से अप्रूवल मांगा था, लेकिन उस समय एफडीए ने कई तरह की समस्याओं और जोखिम का हवाला देते हुए अप्रूवल देने से मन कर दिया था. हालांकि, पिछले महीने ही एलन मस्क की इस कंपनी को अप्रूवल मिल चुका है और अब कंपनी जल्द ही ह्यूमन ट्रायल शुरू करने की तैयारी कर रही है.
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