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    ‘आदिपुरुष’ पर अब होने लगी सियासत, कांग्रेस और AAP ने केंद्र सरकार को घेरा

  • June 18, 2023

    नई दिल्‍ली (New Delhi) । रिलीज के बाद से आदिपुरुष (Adipurush) लगातार विवाद और विरोध (controversy and opposition) से जूझ रही है. फिल्म (Film) को लेकर दर्शकों (audience) का रुख बेरुखा ही है. खासतौर पर फिल्म के संवादों को लेकर जनता बिल्कुल भी रियायत देने के मूड में नही हैं. सोशल मीडिया (social media) पर मीम्स की भरमार है और एक भी कोना ऐसा नहीं है जहां से फिल्म के लिए समर्थन की एक आवाज आ सके. कुल मिलाकर आलम ये है कि निर्देशक ओम राउत और मनोज मुंतशिर का रामायण से प्रेरित ये सिनेमाई प्रयोग सिरे से नकार दिया गया है. मामला यहां से एक हाथ और आगे बढ़ गया है और फिल्म का विरोध सियासी हलके तक पहुंच गया है. यहां भी क्या सत्ता पक्ष और क्या विपक्ष दोनों ही फिल्म को लेकर पॉजिटिव मूड में नहीं देख रहे हैं. कांग्रेस और आप ने फिल्म के बहाने जहां सत्ता पक्ष को घेरने की कोशिश की है तो वहीं, खुद बीजेपी के कई नेता फिल्म के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं.

    फिल्म लाई विवादों का पिटारा
    अरबों रुपये के बजट से बनी फिल्म आदिपुरुष बड़े परदे पर रिलीज तो हो गई है, लेकिन साथ में विवादों का पिटारा भी लेकर आई है. आरोप है कि फिल्म में मर्यादापुरुषोत्तम राम के साथ और रामायण की मूल भावना के साथ मजाक किया गया है. दिल्ली हाईकोर्ट में फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग के साथ याचिका दाखिल कर दी गई है. सवाल है कि क्यों बार-बार हिंदू धर्म से जुड़ी फिल्मों में ही आस्था और भावनाओं से खिलवाड़ करने का आरोप लगता है. सवाल ये भी है कि क्या फिल्म पर विवाद खड़ाकर अभिव्यक्ति की आजादी पर ताला जड़ने की कोशिश हो रही है.


    संवादों पर है सबसे अधिक आपत्ति
    आदिपुरुष को लेकर जो सवाल खड़े हो रहे हैं, उनमें सबसे अधिक आपत्ति फिल्म के संवाद (डायलॉग) को लेकर है. हनुमान जी हो या फिर सीता मैया, रावण हो या फिर वानर सेना. आपत्तियों की एक लंबी लिस्ट है, जो आदिपुरुष के ट्रेलर के साथ ही शुरू हो गई थी. टीजर रिलीज के साथ खड़े हुए विवाद के बाद फिल्म में कई बदलाव किए गए, लेकिन विवादों का सिलसिला नहीं थमा. सबसे बड़ा विवाद फिल्म के डॉयलॉग को लेकर हैं. जो फिल्म रिलीज के बाद जनता के सामने आए. मसलद लंकादहन के वक्त भगवान हनुमान का संवाद जिसमें वो कहते हैं,

    ‘कपड़ा तेरे बाप का… तेल तेरे बाप का… जलेगी भी तेरे बाप की..
    वहीं, एक दानव लंका में हनुमान जी से पूछता है, तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने चला आया…
    इसी तरह एक संवाद यह भी है कि, मेरे एक सपोले ने तुम्हारे शेषनाग को लंबा कर दिया…

    मनोज मुंतशिर ने ये दी सफाई
    ऐसे में आपत्ति जताई जा रही है कि क्या ये भगवान की भाषा है. क्या भगवान राम की कहानी के संवाद इस तरह से होने चाहिए. इस पर फिल्म के डॉयलॉग लिखने वाले मनोज मुंतशिर की सफाई भी आई है. मनोज मुंतशिर ने आज तक से बात करते हुए कहा, ‘जनता के कटघरे में खड़े होना बड़े सम्मान की बात है.’ उन्होंने कहा कि रामायण पर बेस्ड फिल्म के लिए ये डायलॉग गलती से इस तरह नहीं लिखे गए, इन्हें जानबूझकर ऐसा रखा गया है. उन्होंने कहा कि सिर्फ हनुमान जी के डायलॉग पर बात क्यों हो रही है. लोगों को भगवान श्रीराम के संवादों पर भी बात करनी चाहिए.

    हमने रामायण नहीं बनाई, केवल प्रेरितः मनोज मुंतशिर
    मनोज ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, ‘हमने रामायण नहीं बनाई है, हम रामायण से प्रेरित हैं.’ उन्होंने राम चरितमानस लिखने वाले कवि तुलसीदास का जिक्र करते हुए आगे कहा, ‘बाबा तुलसीदास कहते हैं- नाना भांति राम अवतारा, रामायण शत कोटि अपारा. राम के अवतार के अनेकों-अनेक पहलू हैं और सैकड़ों तरीके से रामायण सुनाई जा सकती है.’ यूथ से कनेक्ट करने के लिए रखी ऐसी भाषा ‘आदिपुरुष’ में बजरंग के किरदार के एक डायलॉग पर बहुत लोगों ने आपत्ति जताई है.

    हनुमान जी के संवाद पर ये बोले लेखक
    बजरंग के जिस डायलॉग की चर्चा हो रही है, उसके बारे में मनोज ने कहा, ‘साढ़े सात हजार वर्ष पहले रामायण लिखी गई थी, तो अभी चार-साढ़े चार सौ साल पहले बाबा तुलसीदास ने अवधी में क्यों लिखी? हर रामायण सुनाने वाले का मिशन होता है, उसे लोगों तक पहुंचाना, समसामयिक भाषा में बात करना. रामायण की कथा का पहला मकसद है उसे लोगों तक, दूर-दूर तक पहुंचाना.’

    उन्होंने आगे कहा कि यूथ जिस भाषा को नहीं समझता उसका सम्मान तो कर सकता है, लेकिन उससे कनेक्ट नहीं कर सकता. इसलिए उन्होंने डायलॉग एक ऐसी भाषा में लिखे, जो आजकल के युवाओं की भाषा है. फिल्म के डायलॉग्स की भाषा से आहत हो रहे लोगों के लिए मनोज ने कहा, ‘जिन लोगों ने पहले रामानंद सागर जी की रामायण देखी है उन्हें शायद ये भाषा न पसंद आए. लेकिन उन लोगों से हम हाथ जोड़कर माफ़ी मांग लेंगे. क्योंकि हमारा पहला मकसद उन 10-12 साल के बच्चों से कनेक्ट करना था जिन्हें राम के बारे में कुछ नहीं पता होता.’

    आप नेता संजय सिंह ने बीजेपी को घेरा
    मामला भगवान राम से जुड़ा था. ऐसे में अब सियासी घमासान भी तेज हो गया. आम आदमी पार्टी ने आदिपुरुष को लेकर बीजेपी पर हमले तेज कर दिए हैं. आप नेता संजय सिंह ने कहा कि ‘किस Ramayan के अंदर घटिया, सस्ती, सड़कछाप भाषा का इस्तेमाल किया गया है? क्या कल्पना के आधार पर भगवान राम, माता सीता और भगवान हनुमान जी के बारे में कुछ भी दिखा सकते हैं? BJP का ना हिन्दू धर्म में यक़ीन है, ना ये भगवान राम को मानते हैं, ना इनका रामायण और रामचरितमानस से कोई लेना-देना है.’

    आप नेता संजय सिंह ने बीजेपी नेताओं को फिल्म के बहाने से सीधे तौर पर घेरा. उन्होंने बीजेपी नेताओं का नाम लेते हुए कहा कि फिल्म इन लोगों के आशीर्वाद से बनी हुई है. उन्होंने कहा कि आम भाषा के नाम पर क्या फिल्म में कुछ भी लिख दिया जाएगा. आप नेता ने फिल्म के डायलॉग को लेकर बीजेपी नेताओं को जिम्मेदार ठहराया है.

    फिल्म में डायलॉग आपत्तिजनक और अशोभनीय : सीएम भूपेश बघेल
    वहीं, छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल ने कहा, ‘मैंने ‘आदिपुरुष’ के बारे पढ़ा और सुना. अत्यधिक पीड़ा हो रही है कि आख़िर कैसे सेंसर बोर्ड ने एक ऐसी फ़िल्म को सर्टिफिकेट दे दिया जो हमारी आस्था से खिलवाड़ कर रही है, हमारे आराध्य का मजाक उड़ा रही है. केंद्र सरकार को इसका जवाब देना होगा. हमारे भगवान राम का अपमान हम नहीं सहेंगे. ज़िम्मेदार लोग माफी मांगें.’

    मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार को आरोप लगाया कि फिल्म ‘आदिपुरुष’ में भगवान राम और भगवान हनुमान की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया. उन्होंने कहा कि अगर लोग मांग करते हैं तो कांग्रेस सरकार राज्य में इसे बैन करने पर विचार कर सकती है. उन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म में डायलॉग आपत्तिजनक और अशोभनीय हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य सरकार इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाएगी, बघेल ने कहा, ‘अगर लोग इस दिशा में मांग उठाएंगे तो सरकार इस बारे में (बैन) सोचेगी. हमारे सभी देवों की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है. हमने भगवान राम और भगवान हनुमान के कोमल चेहरे को भक्ति में सराबोर देखा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस छवि को बदलने की कोशिश की जा रही है.’

    दिल्ली हाईकोर्ट में दी गई है याचिका
    फिल्म पर प्रतिबंध की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है. दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर फिल्म पर रोक लगाए जाने की मांग के साथ इस फिल्म को सेंसर बोर्ड की ओर से दिया जाने वाला सर्टिफिकेट को जारी न किए जाने का आदेश दिए जाने की भी मांग की गई है. हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि इस फिल्म में भगवान राम द्वारा रामायण का मजाक उड़ाया गया है. इस फिल्म के जरिए हमारी संस्कृति का मजाक उड़ाया गया है. याचिका में मां सीता, श्रीराम, हनुमान और रावण से संबंधित कई ऐसे सीन हटाने की मांग की गई है. जिससे हिंदुओं की भावनाएं आहत हुईं हैं.

    काठमांडू में बैन हुई ‘आदिपुरुष’
    उधर, नेपाल की राजधानी काठमांडू के सिनेमाघरों में पौराणिक फिल्म ‘आदिपुरुष’ का प्रदर्शन रोक दिया गया है. शहर के मेयर ने निर्माताओं से कहा है कि सीता के जन्मस्थान के बारे में गलती सुधारें और सही जानकारी दें. मेयर ने फेसबुक पर लिखा कि जब तक दक्षिण भारतीय फिल्म ‘आदिपुरुष’ में निहित ‘जानकी भारत की बेटी है’ लाइन न केवल नेपाल में बल्कि भारत में भी हटा दी जाती है, तब तक काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी (एसआईसी) में कोई भी हिंदी फिल्म चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. नेपाल के फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड ने भी कहा कि सिनेमाघरों में फिल्म दिखाने की इजाजत तभी दी जाएगी, जब ‘सीता को भारत की बेटी’ बताने वाले डायलॉग को बदल दिया जाएगा. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सीता का जन्म जनकपुर में हुआ माना जाता है, जो नेपाल में स्थित है. शाह ने अपने फेसबुक पोस्ट में निर्माताओं से तीन दिनों के भीतर डायलॉग बदलने को कहा है.

    50 साल तक नहीं बनेगी ऐसी ‘रामायण’: प्रेम सागर
    फिल्म रिलीज के बाद रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने भी एक वीडियो शेयर करके ‘रामायण’ पर अपनी दिल की बात कही है. उन्होंने कहा, ‘पापाजी का जन्म ‘रामायण’ बनाने के लिए हुआ था, उन्हें ‘रामायण’ को फिर से लिखने के लिए इस धरती पर भेजा गया था.’ ‘वाल्मीकिजी ने इसे छंदों में लिखा था, तुलसीदासजी ने इसे अवध भाषा में लिखा था और पापाजी ने इसे इलेक्ट्रॉनिक युग में लिखा था.’ ‘रामानंद सागर की ‘रामायण’ एक ऐसा महाकाव्य था, जिसे दुनिया ने अनुभव किया है. इसे लोगों के दिलों से कभी नहीं निकाला जा सकेगा.’ वो कहते हैं कि ‘रामायण को जब पसंद किया गया, तो मैंने ऐसे ही पापा से पूछा कि कब तक ‘रामायण’ ऐसे लेवल पर रहेगी, उन्होंने कहा कि 50 साल तक ऐसी ‘रामायण’ नहीं बनेगी.’

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