कोलकाता: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी दल एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं. 23 जून को पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में बैठक होने वाली है. इस बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की शिरकत करेंगी, लेकिन आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल के बाद अब ममता बनर्जी ने कांग्रेस को साफ कर दिया है कि यदि राष्ट्रीय स्तर पर तृणमूल कांग्रेस का समर्थन चाहती हैं, तो उसे बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को समर्थन करना होगा, न ही माकपा को.
ममता बनर्जी ने पंचायत चुनाव के पहले अपनी सभा में साफ कर दिया है कि यह नहीं हो सकता है कि कांग्रेस माकपा के साथ मिलकर बंगाल में उनके खिलाफ चुनाव लड़े और फिर वह राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का समर्थन करे. ममता बनर्जी के बयान से यह पूरी तरह से साफ है कि ममता बनर्जी राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को समर्थन करने के बदले पूरा बंगाल चाहती हैं. वह चाहती हैं कि बंगाल कांग्रेस छोड़ दे और तृणमूल कांग्रेस बंगाल की सभी सीटों पर मुकाबला करे.
कांग्रेस को समर्थन के बदले पूरा बंगाल चाहती हैं ममता बनर्जी
ममता बनर्जी ने इसके पहले भी विपक्षी एकता के लिए फार्मूला दिया था कि जो पार्टी जिस राज्य में शक्तिशाली है. वहां वह बीजेपी के खिलाफ मुकाबला करे. इस फार्मूल के अनुसार भी ममता बनर्जी बंगाल में अकेले चुनाव लड़ना चाहती है और चाहती है कि कांग्रेस उसका समर्थन करे.
ऐसे में यदि कांग्रेस तृणमूल कांग्रेस के साथ समझौता करती है, तो उसे बंगाल में अपने हित को नजरदांज करना होगा. इसके पहले भी सागरदिघी विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस का एक मात्र विधायक बायरन बिस्वास की जीत हुई थी.
बायरन बिस्वास की जीत के मात्र तीन महीने के बाद ही तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें अपने में शामिल कर लिया और वह अभिषेक बनर्जी का हाथ थाम कर तृणमूल कांग्रेस में ज्वाइंन कर गये थे. उस समय भी ममता बनर्जी ने कहा था कि राज्य की राजनीति अलग है और राष्ट्रीय स्तर की राजनीति अलग है. क्षेत्रीय दलों की अपनी बाध्यताएं होती हैं. कांग्रेस ने कई राज्यों में चुनाव लड़ा है. कभी भी तृणमूल कांग्रेस ने उसका विरोध नहीं किया था.
पंचायत चुनाव में कांग्रेस-टीएमसी के बीच तकरार, विपक्षी एकता पर पड़ेगा असर
ऐसे में यदि बंगाल में पार्टी अपना विस्तार करती है, तो उसके लिए उसे कांग्रेस से पूछने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कांग्रेस नेता जयराम रमेश के बयान पर भी आपत्ति जताती थी, जिसमें उन्होंने बायरन बिस्वास को शामिल किये जाने को बीजेपी की मदद करार दिया था.
बता दें कि इसके पहले गोवा विधानसभा चुनाव और मेघालय विधानसभा चुनाव को लेकर भी कांग्रेस और टीएमसी आमने-सामने आ गई थी. कांग्रेस और टीएमसी में जमकर तकरार मची थी, लेकिन बाद में राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने के मुद्दे पर ममता बनर्जी ने बिना राहुल गांधी का नाम लिये इसकी आलोचना की थी. लेकिन कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत को ममता बनर्जी हजम नहीं कर पाई थी.
उन्होंने जीत पर खुशी का तो इजहार किया था, लेकिन अपने संदेश में कहीं न तो राहुल गांधी का और न ही कांग्रेस का नाम लिया था. उन्होंने इसका पूरा श्रेय बीजेपी की गलत नीतियों और कर्नाटक की जनता को दिया था. पर हाल में ममता बनर्जी के बयान से कांग्रेस के प्रति नरमी के संकेत मिले थे, लेकिन फिर बंगाल में पंचायत चुनाव को लेकर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस आमने-सामने है. इसका असर राष्ट्रीय राजनीति और विपक्षी पार्टियों के गठबंधन पर पड़ता दिख रहा है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved