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    खुलासा: मांसाहारी महिलाओं के दूध में मिल रहा कीटनाशक, मां से पहुंच रहा शिशुओं में

  • June 15, 2023

    लखनऊ (Lucknow)। फसलों व खानपान (crops and food) की चीजों में खतरनाक रसायनों के अंधाधुंध (indiscriminate use of chemicals) उपयोग से हमारे नवजात भी अछूते नहीं हैं। मां के दूध से इनमें जन्म के साथ ही कीटनाशक और अन्य खतरनाक रसायन (Pesticides and other dangerous chemicals) पहुंच रहे हैं। मांसाहार करने वाली महिलाओं के मामले में स्थिति और खतरनाक है। शाकाहारी माताओं के मुकाबले इनके दूध से साढ़े तीन गुना तक ज्यादा कीटनाशक शिशुओं में पहुंच रहा है। यह खुलासा केजीएमयू के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग (क्वीन मेरी) में हुए अध्ययन में ये तथ्य सामने आए हैं।



    एनवायरमेंटल रिसर्च जनरल में प्रकाशित इस अध्ययन में प्रोफसर सुजाता देव, डॉक्टर अब्बास अली मेहंदी और डॉक्टर नैना द्विवेदी शामिल थीं। वहीं, डॉक्टर सुजाता ने बताया कि मांसाहारी भोजन का सेवन करने वाली महिलाओं की तुलना में शाकाहारी भोजन का सेवन करने वाली महिलाओं के दूध में कम कीटनाशक पाए गए, लेकिन शाकाहारी महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क में भी कीटनाशक पाए गए हैं और दूध में कीटनाशक पाए जाने के पीछे खाने की चीजों की खेती के दौरान कीटनाशक चीजों का ज्यादा इस्तेमाल बताया गया।

    उन्होंने कहा कि फसलों में तरह-तरह के पेस्टीसाइड और केमिकल्स डाले जाते हैं जिसकी वजह से शाकाहार का सेवन करने वाली मां के दूध में कीटनाशक पाए जा रहे हैं जो मां का दूध पीने पर नवजात शिशु के शरीर में भी चले जाते हैं। डॉक्टर सुजाता ने बताया कि मांसाहार का सेवन करने वाली महिलाओं में कीटनाशक की वृद्धि शाकाहार महिलाओं की तुलना में साढ़े तीन गुना ज्यादा पाई गई। आजकल जानवरों को भी तरह-तरह के इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं।

    क्या मां के जरिए। स्तनपान से शिशु में भी कीटनाशक पहुंच रहा है। इसका पता लगाने के लिए हमने 130 महिलाओं पर अध्ययन किया गया। हमने पाया कि शिशु को जन्म देने के बाद मांओं के दूध में कीटनाशक मौजूद थे। इससे यह साफ हो गया की भले ही शिशु जन्म लेने के बाद कुछ माह तक अनाज या किसी अन्य पदार्थ का सेवन ना करे लेकिन मां के दूध से कीटनाशक उसके शरीर में जा रहा है।

    वहीं किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की फॉरेंसिक एंड टॉक्सिकोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर शिउली राठौर ने बताया कि यह एक गंभीर मामला है और इस स्थिति से बचने के लिए हमें सावधान रहना चाहिए। हम जो भी सब्जी और फल खाएं, उसे पहले अच्छे से धोएं क्योंकि अब ऑर्गेनिक फार्मिंग नहीं हो रही है और पेस्टिसाइड डालने की वजह से सारे खाद्य पदार्थ दूषित हो रहे हैं. ऐसे में खुद को सावधान रखने की जरूरत है और यह तभी हो सकता है जब हम सब्जियों को फलों को अच्छे से धो लें या किसी बर्तन में पानी भरकर थोड़ी देर के लिए छोड़ दें ताकि उनके पेस्टिसाइड्स निकल जाए है और फिर उसे अच्छे से उबालकर उनका सेवन करें।

    आमतौर पर चिकन या अन्य जानवरों का वजन, आकार बढ़ाने के लिए जो इंजेक्शन दिए जाते हैं वे हार्मोनल होते हैं। इनका दुष्प्रभाव तो निसंदेह होगा ही। जहां तक बात मांस में कीटनाशकों की मौजूदगी का है, तो इस पर कोई टिप्पणी विशेष शोध के बाद ही की जा सकती है। यह संभव है कि वे जो मांसाहार करती हों उसमें कीटनाशक की मौजूदगी हो, लेकिन स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता।

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