नई दिल्ली (New Delhi) । केंद्र सरकार (Central government) ने 2 मई की कॉलेजियम (collegium) की सिफारिश स्वीकार करते हुए बंबई हाईकोर्ट (Bombay High Court) के लिए तीन वकीलों (lawyers) को जज (Judge) बनाने की सिफारिश को मंजूरी दे दी। लेकिन यह सिफारिश मंजूर करते हुए सरकार ने कॉलेजियम की इससे पहले की गई 18 जनवरी की सिफारिश को नजरअंदाज कर दिया जबकि कॉलेजियम ने इस प्रस्ताव में वकील सोमाशेखर सुंदरम (Advocate Somashekhar Sundaram) को बंबई हाईकोर्ट में अतिरिक्त जज बनाने की अपनी सिफारिश दोहराई थी और केंद्र सरकार की आपत्तियों को खारिज कर दिया था। वकील सोमाशेखर ने सरकार की कुछ नीतियों की आलोचना की थी जिस पर केंद्र सरकार ने आपत्ति की थी।
केंद्र ने बाद की सिफारिशों को मान लिया
इस मामले में सरकार ने बाद में की गई सिफारिशों को मान लिया लेकिन जो सिफारिश पहले की गई थी और जिसे कॉलेजियम दोहराया गया था, वह अब तक लंबित है। जानकारों के अनुसार इससे एक त्रुटिपूर्ण स्थिति पैदा हुई है जो उम्मीदवारों की वरिष्ठता को प्रभावित कर रही है। कानून के अनुसार कॉलेजियम यदि किसी को जज बनाने की सिफारिश को दोहराती है तो उसे मानना केंद्र सरकार के लिए बाध्यकारी होती है।
सोमाशेखर की 2021 में की गई थी सिफारिश
सोमाशेखर की सिफारिश बंबई हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2021 में की थी। फरवरी 2022 में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जजशिप के लिए शेखर की सिफारिश की पुष्टि की। लेकिन सरकार ने नवंबर 2022 में शेखर की सिफारिश पर कॉलेजियम से फिर से विचार करने को कहा। केंद्र ने कहा कि शेखर सोशल मीडिया पर ऐसे मामलों में टिप्पणी की है जो कोर्ट के सामने लंबित हैं।
कॉलेजियम ने जनवरी 2023 में सिफारिश को दोहराया
कॉलेजियम ने जनवरी 2023 को सोमाशेखर की सिफारिश को दोहराया और सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों को खारिज कर दिया था। कॉलेजियम का कहना था कि यदि पद के लिए व्यक्ति योग्य है तो सोशल मीडिया पर व्यक्त किए गए विचारों का कोई मतलब नहीं है। इस मामले पर आने वाले समय में केंद्र सरकार और कोर्ट में टकराव होने की आशंका है।
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