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    Cyclone Biparjoy: तूफान में कितने परमाणु बम के बराबर ताकत होती है, कहां से मिलती है भीषण ऊर्जा

    June 14, 2023

    नई दिल्ली: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने चक्रवात ‘बिपरजॉय’ बृहस्‍पतिवार शाम को 135 किमी से लेकर 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के साथ जखाऊ बंदरगाह के पास कच्‍छ में मांडवी और पाकिस्‍तान के कराची के बीच टकराने की आशंका है. आईएमडी ने चेतावनी दी है कि ‘बिपरजॉय’ की वजह से सौराष्‍ट्र कच्‍छ क्षेत्र के तटीय हिस्‍सों, पारबंदर और द्वारका जिलों में तेज हवाएं तथा बहुत भारी बारिश हो सकती है. शक्तिशाली तूफान को देखते हुए तटीय इलाकों से 37 हजार से ज्‍यादा लोगों को स्‍थानांतरित कर दिया गया है. ‘बिपरजॉय’ से निपटने की तैयारियों के बीच जानते हैं कि तूफानों में भयंकर तबाही मचाने की ताकत कहां से आती है? साथ ही जानते हैं कि तूफान में कितने परमाणु बम के बराबर ताकत होती है?

    जिन लोगों ने अपने जीवन में कभी भी तूफान का अनुभव किया है, वे जानते हैं कि जब तेज हवाएं चलती हैं, तो घरों को समतल कर देती हैं, पेड़ों को तोड़ देती हैं और भारी तूफान पैदा कर देती हैं. दूसरे शब्‍दों में कहा जाए तो तूफान अपने पीछे भीषण तबाही के निशान छोड़ जाते हैं. नासा का कहना है कि असल में एक शक्तिशाली तूफान में 10 हजार परमाणु बमों के बराबर ताकत होती है. दूसरे शब्‍दों में कहतें तो एक तूफान अपने जीवन चक्र के दौरान 10,000 परमाणु बमों जितनी ऊर्जा खर्च कर सकता है.

    बहुत ताकतवर थे ये चार तूफान

    नासा ने 2017 में आए अटलांटिक तूफान के मौसम को सात तूफानों के साथ ‘बहुत सक्रिय’ के तौर पर परिभाषित किया है. सात में से चार हार्वे, इरमा, जोस और मारिया तूफान सैफिर सिम्‍पसन पैमाने पर श्रेणी-3 या उच्‍चस्‍तर पर पहुंच गए थे. इसका मतलब हुआ कि ये तूफान बहुत ज्‍यादा शक्तिशाली थे. जोस को उष्णकटिबंधीय तूफान के रूप में डाउनग्रेड किया गया था, लेकिन बाकी तीन एक दूसरे से ज्‍यादा शक्तिशाली थे. इन तूफानों से बड़ी संख्‍या में लोगों की मृत्यु हुई और भारी विनाश हुआ. उस दौरान बाढ़ और 209 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार वाली तेज हवाएं चली थीं. इन तूफानों ने सबकुछ जमींदोज कर दिया था.


    कैसे बनते हैं ताकतवर तूफान

    अटलांटिक मौसमी तूफान के पूर्वानुमानों में विशेषज्ञता वाले मौसम विज्ञानी फिलिप क्लॉट्जबैक के अनुसार, विनाशकारी और घातक बल के कारण इरमा, हार्वे और मारिया नामों को उपयोग से हटा दिया जाएगा. तूफान या उष्णकटिबंधीय चक्रवात पानी के ऊपर बनते हैं. यहां नमी ज्‍यादा होती है. समुद्र की सतह का तापमान 26 डिग्री सेल्सियस से ज्‍यादा होता है और हल्की हवाएं चलती हैं. ऐसी स्थितियां आमतौर पर उष्णकटिबंधीय उत्तरी अटलांटिक और उत्तरी प्रशांत क्षेत्र में गर्मियों व सर्दियों के शुरुआती मौसम में बनती हैं. नासा के अनुसार, ये चक्रवात ‘ईंधन के रूप में गर्म, नम हवा’ का इस्‍तेमाल करते हैं. हवा समुद्र की सतह से ऊपर और दूर चलती है, जिससे निम्‍न वायुदाब का क्षेत्र बनता है. उच्च दाब क्षेत्र से वायु निम्‍न दाब क्षेत्र की ओर चलती है.

    हवा के चलने का यह चक्र जारी रहता है. जैसे ही गर्म और नम हवा ऊपर उठती है तथा ठंडी होती है, उसमें मौजूद पानी बादलों का रूप ले लेता है. बादल गुणात्‍मक‍ रूप से बढ़ते हैं, हवा तेज होती है और बढ़ती है, जो समुद्र की गर्मी व पानी से बढ़ती रहती है. तूफान प्रणाली के घूमने की गति तेज हो जाती है और केंद्र में कम दबाव का एक शांत क्षेत्र बन जाता है, जिसे आंख कहा जाता है. इसके बाहर सबसे तेज हवाएं आंख की दीवार में होती हैं. तूफान आमतौर पर लैंडफॉल बनाने पर कमजोर हो जाते हैं. दरअसल, लैंडफॉल के दौरान वे अपना गर्म पानी का ईंधन खो देते हैं. वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि ग्लोबल वार्मिंग तूफान और उष्णकटिबंधीय तूफानों के बार-बार आने और उनकी तीव्रता को बढ़ा सकती है.

    कहां आते हैं सबसे ताकतवर तूफान

    वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्‍लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का पानी गर्म होता जाएगा और तूफान को अपना ईंधन मिलता रहेगा. इससे शक्तिशाली तूफानों की तीव्रता और संख्‍या में बढ़ोतरी हो सकती है. सबसे शक्तिशाली तूफान आमतौर पर खाड़ी और कैरिबियन समुद्र में बनते हैं, जहां गहरे समुद्र में भी पानी गर्म होता है. अटलांटिक का गहरा पानी आमतौर पर ठंडा होता है. जैसे ही तूफान बढ़ता है और गहरा, ठंडा पानी ऊपर उठाता है, यह ईंधन खो देता है. अटलांटिक के गर्म होते ही यह स्थिति भी बदल सकती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, इरमा के पास खुले अटलांटिक में बनने वाली किसी भी तूफान की सबसे तेज हवाएं रिकॉर्ड की गई थीं.

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