नई दिल्ली (New Delhi)। मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी (NEET-UG) के आयोजन में नेशनल मेडिकल कमीशन-एनएमसी (National Medical Commission-NMC) द्वारा कई बदलाव किए गए हैं। इनमें इनमें से कुछ बदलाव तार्किक है तो कुछ समझ से परे हैं। कमीशन द्वारा जारी किया गया नया एज-क्राइटेरिया तार्किक नहीं है तथा समझ से परे है। एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि नए एज क्राइटेरिया के अनुसार विद्यार्थी को परीक्षा-वर्ष की 31-जनवरी को 17-वर्ष की उम्र पूर्ण करनी होगी. जबकि पिछले एज-क्राइटेरिया के अनुसार विद्यार्थी परीक्षा-वर्ष में 31-दिसंबर तक 17-वर्ष की उम्र पूर्ण करने पर भी नीट-यूजी परीक्षा में सम्मिलित होने का पात्र था।
कमीशन द्वारा टाइ ब्रेकिंग नियमों में भी आमूलचूल परिवर्तन किया गया है. नए क्राइटेरिया के अनुसार विद्यार्थियों के कुल-अंक समान होने पर फिजिक्स विषय में अधिक अंक प्राप्त करने वाले को बेहतर रैंक दी जाएगी। यदि फिर भी टाइ होता है तो फिर केमिस्ट्री तथा अंतत: बायोलॉजी के अंकों के आधार पर टाइ-ब्रेकिंग होगा। देव शर्मा के अनुसार नया टाइ-ब्रेकिंग क्राइटेरिया तार्किक प्रतीत होता है क्योंकि फिजिक्स-विषय में बेहतर अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी की तार्किक क्षमता निश्चित तौर पर बेहतर होगी!
देव शर्मा ने बताया कि नीट-यूजी के लिए जारी किए गए एलिजिबिलिटी-क्राइटेरिया के अनुसार 12वीं बोर्ड में अंक प्रतिशत की बाध्यता समाप्त कर दी गई है. अब 12वीं बोर्ड में उत्तीर्ण सभी विद्यार्थी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी में ड्यूटी में सम्मिलित होने के पात्र होंगे.
देव शर्मा ने बताया कि नेशनल मेडिकल कमीशन-एनएमसी,नई दिल्ली द्वारा हाल ही में जारी किए गए एमबीबीएस-सीटों के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में 695-मेडिकल संस्थानों में 1-लाख,6-हजार-333 एमबीबीएस सीटें आवंटन के लिए उपलब्ध हैं. कोविड पूर्व वर्ष-2019 के नेशनल मेडिकल कमीशन-एनएमसी नई,दिल्ली के आंकड़ों पर नजर डाले जाए तो ज्ञात होता है कि उस समय देश के 497-मेडिकल संस्थानों में 60680-एमबीबीएस सीटें उपलब्ध थीं।
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