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    प्रशासनिक भवनों के आपदा प्रबंधन की तैयारियां खोखली निकलीं

  • June 14, 2023

    • चारों तरफ पसरा था बदइंतजामी का आलम

    भोपाल। मंत्रालय से महज 50 मीटर की दूरी पर स्थित प्रशासनिक मुख्यालय सतपुड़ा भवन की आगजनी ने आपदा प्रबंधन की पोल खोल कर रख दी है। आग की घटना के बाद हर स्तर पर लापरवाही और बदइंतजामी सामने गई। सतपुड़ा भवन की आग 10 घंटे में बुझी, लेकिन सिस्टम पर कई सवाल खड़े कर गई। हालांकि बिल्डिंग से धुआं मंगलवार दोपहर तक निकलता रहा। सतपुड़ा भवन में आग की घटना पर काबू के लिए फायर स्टेशन महज कुछ दूरी पर स्थित है। जहां पर पांच फायरब्रिगेड है। इनमें से दो बहुत पुरानी है, जो कब बंद हो जाए पता नहीं चलता। आग बुझाने पहुंची एक फायर बिग्रेड को तो रात को धक्का तक लगाना पड़ा। खास बात तो यह है कि छह मंजिला भवनों की सुरक्षा के लिए तैनात गाडिय़ों से मुश्किल से तीन मंजिल तक पानी का प्रेशर जा सकता है। यहीं वजह है कि सतपुड़ा भवन की आग विकराल होती रही और दमकल की इन गाडिय़ों का दम निकलता गया। जिसके बाद आग पर काबू पाने के लिए एयरपोर्ट, सीआईएसएफ, सेना और इंदौर से दो फायरब्रिगेड बुलाई गई।

    39 फायरब्रिगेड ने एक साथ काम किया
    अधिकारियों के अनुसार आगजनी पर काबू पाने के लिये 2 हाइड्रोलिक समेत नगर निगम की कुल 28, पुलिस की 4, सीआईएसएफ की 2, एयरपोर्ट की 2, बीएचईएल की 1, आर्मी की 2 कुल 39 फायरब्रिगेड ने संयुक्त रूप से एकजुट होकर कार्य किया। साथ ही भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड, इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लिमिटेडर, वर्धमान ग्रुप और ट्राइडेन्ट ग्रुप के अग्निशमन संबंधी उपकरण भी उपयोग किये गये। 130 के करीब सेना के जवान भी आग बुझाने के लिए पहुंचे।

    हाइड्रोलिक क्रेन चलाने वाला ही नहीं
    भोपाल नगर निगम के पास पांच करोड़ की हाइड्रोलिक क्रेन है, लेकिन वह जरूरत के समय उपयोग में ही नहीं आ सकी। दरअसल क्रेन को ऑपरेट करने के लिए कोई ट्रेड व्यक्ति ही नहीं था। इस वजह से 25 मंजिल तक आग बुझाने की दावा करने वाली मशीन का उपयोग ही नहीं हो सका। इस मामले में भोपाल महापौर मालती राय ने कहा कि उसको ऑपरेट करने वाला छुट्टी पर चला गया था। इस वजह से दिक्कत हुई।

    ट्रेनिंग लेने अधिकारी-कर्मचारी उदासीन
    राजधानी भोपाल के प्रमुख प्रशासनिक भवन वल्लभ भवन, विंध्याचल भवन और सतपुड़ा भवन के अधिकारी-कर्मचारी अग्निशमन यंत्र चलाना सीखने को लेकर उदासीन है। सुरक्षा अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि समय-समय पर भवनों में अग्निशमन यत्रों को चलाने के साथ मॉक ड्रील की जाती है, लेकिन इसमें अधिकारी-कर्मचारी भाग नहीं लेते। यहीं कारण है कि सतपुड़ा भवन में फायर फायर इंस्टीग्यूशर होने के बावजूद शुरुआत में आग बुझाने आगे ही नहीं आए।

    ई-ऑफिस सिस्टम लागू नहीं
    स्वास्थ विभाग के अधिकारियों का कहना है की कार्यालय पूरी तरह से जल गए हैं। करीब 80 प्रतिशत से अधिक फाइलें और दस्तावेज जल चुके हैं। काफी संख्या में फाइलें ऑनलाइन हैं, कोर्ट केस और शिकायतों संबंधी फाइलें भी जली हैं, उन्हें रिकवर करने के लिए प्रयास किए जाएंगे। जले हुए दस्तावेजों का 100 प्रतिशत रिकवर होना संभवन नहीं लग रहा। वर्तमान में स्वास्थ्य संचालनालय में ई-ऑफिस सिस्टम भी लागू नहीं था।

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