नई दिल्ली (New Delhi) । भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सोमवार को जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के सुभाष चंद्रा (Subhash Chandra) और पुनीत गोयनका (Punit Goenka) को किसी भी लिस्टेड कंपनी में निदेशक या प्रमुख प्रबंधन कर्मी (केएमपी) बनने से रोक दिया है। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने लिस्टेड कंपनी जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ZEEL) और एस्सेल ग्रुप की दूसरी लिस्टेड कंपनियों से अपने फायदे के लिए फंड्स की हेराफेरी की है। चंद्रा और गोयनका 21 दिनों के भीतर अपना जवाब/आपत्तियां दाखिल कर सकते हैं।
SEBI की जांच में ये सामने आया है कि सुभाष चंद्रा जो एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन हैं, उन्होंने 4 सितंबर 2018 को यस बैंक को एक लेटर ऑफ कंफर्ट जारी किया। ये एस्सेल ग्रुप की अन्य कंपनियों की तरफ से यस बैंक से लिए गए लोन की गारंटी के तौर पर जारी किया गया था।
इसमें कहा गया था कि एस्सेल ग्रीन मोबिलिटी पर जो 200 करोड़ रुपये का लोन है, उसके बदले ग्रुप की किसी कंपनी की तरफ से यस बैंक में 200 करोड़ रुपये का फिक्स्ड डिपॉजिट रखा जाएगा। डिफॉल्ट की स्थिति में यस बैंक इस एफडी को लोन के बदले एडजस्ट कर सकता है। सेबी के आदेश में कहा गया है कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि एलओसी प्रबंधन में केवल कुछ लोगों के लिए जाना जाता था और यहां तक कि ZEEL के बोर्ड को भी पत्र के बारे में पता नहीं था।
सेबी की जांच के अनुसार, ZEEL/Essel Group के तत्कालीन चेयरमैन चंद्रा ने यस बैंक से समूह की कुछ कंपनियों द्वारा प्राप्त की गई क्रेडिट सुविधाओं के लिए ‘लेटर ऑफ कम्फर्ट’ (LoC) प्रदान किया था। जी एंटरटेनमेंट और अन्य लिस्टेड कंपनियों से 143.90 करोड़ रुपये को अलग-अलग कंपनियों से होते हुए वापस जी एंटरटेनमेंट के खाते में पहुंचाया गया। बाकी बचे फंड के लिए SEBI अभी भी जांच कर रहा है।
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