इंदौर। यह सच है कि शहर के सफाईकर्मी स्वच्छता के लिए दिन-रात जी-जान लगाते हैं और यदि कोई उनकी इस मेहनत का मजाक उड़ाए तो आक्रोशित होना स्वाभाविक है, लेकिन कल रात पटेल ब्रिज पर अपने आक्रोश की अभिव्यक्ति करते निगमकर्मियों ने तीन युवकों को सरेआम पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। [relposst]
कल रात पटेल ब्रिज (Patel Bridge) के पास निगम के दरोगा ने सीएसआई के साथ मिलकर पानी की बोतल सडक़ पर फेंकने पर तीन युवकों की लात-घूंसों और लाठियों से बुरी तरह पिटाई की। इस दौरान बीच-बचाव में आए एक पुलिसकर्मी से भी बदसलूकी की। बताया जाता है कि मल्हारगंज के दीपक जाट, सुभाष मार्ग के सुनील यादव व मोनू ने पटेल ब्रिज से गुजरते समय पानी की बोतल सडक़ पर फेंक दी, तभी पीछे से आ रही निगम की पीली गैंग ने उन्हें रोका और चालान भरने के लिए दबाव बनाया। विरोध करने पर निगमकर्मियों ने मिलकर उन्हें डंडे और लाठियों के साथ ही लात-घूंसों से बेरहमी से पीटा। पुलिसकर्मी संतोष मौके पर पहुंचा तो निगमकर्मियों ने उससे भी हुज्जत की। इस मामले में पुलिस ने दरोगा संदीप रानवे, सीएसआई आशीष लोधी, सुनील करोसिया, अजय बदरवाल के खिलाफ प्रकरण कायम किया। घायलों के युवक कांग्रेस से जुड़े होने के चलते कार्यकर्ताओं द्वारा थाने का घेराव करने के बाद निगमकर्मियों पर रात 3 बजे केस दर्ज किया गया। निगमकर्मियों का आरोप है कि तीनों युवक पुल किनारे शराब पीने के बाद बोतल सडक़ पर फेंक रहे थे। विरोध किया तो उन्होंने मारपीट की।
हरकत गलत थी… पर इस तरह की पिटाई शहर पर दाग है…
माना कि हमारे शहर में स्वच्छता के लिए सफाईकर्मी जी-जान लगाते हैं। शहर के नागरिक भी अपने कत्र्तव्यों की पूर्ति करते हैं। ऐसे में शहर और बाहर के मदहोश लोग यदि सडक़ों पर कांच की बोतलें फेंककर शहर पर दाग लगाएं तो आक्रोशित होना लाजिमी है, लेकिन जिस तरह निगमकर्मियों ने मदहोश युवकों की पिटाई की, वह भी शहर पर कलंक से कम नहीं है। पिटाई इतनी क्रूरता से की गई कि शराब के नशे में पहले से ही कमजोर युवकों में से किसी ने अगर दम तोड़ दिया तो निगमकर्मी हत्या के आरोपी बन जाएंगे और यह कलंक न शहर धो पाएगा और न निगमकर्मी इस अपराध से बच पाएंगे।
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