नई दिल्ली। डिजिटल ट्रांजेक्शन में आई बढ़ोतरी के साथ-साथ ऑनलाइन फ्रॉड के केस भी काफी तेज से बढ़े हैं। डिजिटल फ्रॉड में अकसर लोगों को वित्तीय नुकसान ही होता है। इसलिए इस तरह के फ्रॉड को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
डिजिटल फ्रॉड, ऑनलाइन लेन-देन, ई-मेल स्पूफिंग, फिशिंग के कारण हो सकता है या कार्ड की क्लोनिंग से भी हो सकता है। वित्तीय नुकसान होने की वजह से हम अकसर घबरा जाते हैं और उस वक्त जो काम हमें करना चाहिए वो हम घबराहट की वजह से भूल जाते हैं। आज हम आपको बताएंगे की फ्रॉड होने के बाद आप क्या कर सकते हैं।
जैसे ही आपको पता चले कि आपके साथ क्रेडिट/डेबिट कार्ड से कोई संदिग्ध लेन-देन हुआ है तो आप तुरंत अपने बैंक को सूचित करें और औपचारिक शिकायत दर्ज करवाएं। इसके अलावा आप बैंक के कस्टमर केयर नंबर पर कॉल कर अपने कार्ड को ब्लॉक करवा दें।
आप अपने बैंक में लिखित शिकायत दर्ज करवा सकते हैं लेकिन उससे पहले आप अपने साथ अपने बैंक के पिछले छह महीनों का बैंक स्टेटमेंट, कथित लेन-देन से संबंधित प्राप्त एसएमएस की कॉपी, बैंक रिकॉर्ड में दिखाए गए अनुसार अपने आईडी प्रूफ और एड्रेस प्रूफ की कॉपी अपने साथ रख लें। इन दस्तावेज के साथ आप बैंक में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। अगर आप उन लोगों में से हैं जिनके साथ किसी ऐप की वजह से फ्रॉड हुआ है तो आप उस ऐप की स्क्रीनशॉट लेकर बैंक में दर्ज करें।
बैंक में शिकायत दर्ज करने के बाद आपको अपने निकटतम पुलिस स्टेशन में भी एक लिखित शिकायत दर्ज करनी चाहिए। अगर पुलिस एफआईआर दर्ज करने से इनकार करती है, तो सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत आप कोर्ट में जा सकते हैं। पुलिस के अलावा आप सीधा साइबर सेल में जाकर भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
यदि धोखाधड़ी होती है और बैंक की गलती नहीं है और यह किसी तीसरे पक्ष द्वारा धोखाधड़ी, फिशिंग आदि के माध्यम से यह फ्रॉड किया गया है तो आरबीआई के नियम के ग्राहक को कोई भी भुगतान करने की जरूरत नहीं है फ्रॉड की सूचना तीन दिन के भीतर दी गई है तो।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved