इंदौर। निगम ने स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट लिमिटेड से मराठी स्कूल परिसर को विकसित करने के साथ व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स भी निर्मित किया है, जहां की ग्राउंड फ्लोर की चार दुकानों को बेचा जाना है, जिसके लिए तीसरी बार टेंडर बुलवाए हैं। मराठी स्कूल के साथ-साथ निगम ने गोपाल मंदिर का जीर्णोद्धार करते हुए पीछे शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाया है, जहां पर हटाई गई गुमटियों और दुकानों के बदले कॉम्प्लेक्स में दुकानें भी आवंटित की गईं और बची दुकानों को बेचा गया। अभी गोपाल मंदिर कॉम्प्लेक्स में ग्राउंड फ्लोर के अलावा फस्र्ट फ्लोर और सेकंड फ्लोर पर लगभग 11 दुकानें बची हंै, जिन्हें 30 साल की लीज पर दिया जाएगा। इनमें दुकान नं. 221-222 से लेकर 232 नंबर शामिल हैं। इसी तरह एमजी रोड पर पुराने-जर्जर हो चुके मराठी स्कूल को तोडक़र रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत वहां पर व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स, कला संकुल सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। दो ऑडिटोरियम भी बनाए गए हैं तो कमर्शियल कॉम्प्लेक्स को जी प्लस-4 आकार का तैयार किया है। पहले और दूसरे फ्लोर पर कमर्शियल, तीसरे पर ऑफिस और चौथे पर मिनी प्लेक्स की सुविधा दी गई है। अभी ग्राउंड फ्लोर की चार दुकानों के लिए फिर से प्रस्ताव बुलवाए गए हैं।
नकली सील-सिक्के लगाकर बेच डाली तीन दुकानें
अग्निबाण ने पिछले दिनों खुलासा किया था कि मराठी कॉम्प्लेक्स की तीन दुकानें निगम के नकली सील-सिक्के लगाकर बेच डालीं। दरअसल जनसुनवाई में कलेक्टर के समक्ष यह शिकायत आई, जिसमें कूटरचित दस्तावेजों के जरिए ये दुकानें बेची गईं और उसमें भाजपा की महिला पार्षद पर भी आरोप लगे। एक करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की शिकायत पर कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी ने निगमायुक्त को जांच करने के निर्देश भी दिए। इसमें शिकायतकर्ता ने बताया कि दुकान नं. 12 को आवंटित करने के एवज में उससे 18 लाख 25 हजार रुपए ले लिए और निगम उपायुक्त के नाम पर सील-सिक्के और हस्ताक्षर वाला लेटर थमा दिया गया। जब लीज डीड करवाने को कहा गया तो आनाकानी की गई और जब उसने निगम में जाकर पता लगाया तो अधिकारियों ने बताया कि दुकान नं. 12 तो पहले से ही किसी अन्य व्यक्ति को आवंटित की जा चुकी है। सूत्रों का कहना है कि इस तरह तीन दुकानों का फर्जीवाड़ा यहां किया गया, जिसमें एक करोड़ रुपए से अधिक की राशि ले ली गई।
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