भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव (assembly elections) को देखते हुए कर्मचारी संगठन राज्य सरकार (Organization State Government) के खिलाफ सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं, हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसी भी वर्ग को नाराज नहीं करना चाहते हैं। यही वजह है कि सामाजिक और धार्मिक अवसरों को लेकर लगातार छुट्टियों की घोषणा हो रही है। कर्मचारी संगठनों ने इन छुट्टियों को लेकर अब अपनी आपत्ति दर्ज कराना शुरू कर दिए हैं। कर्मचारी नेता दिलीप चौहान के मुताबिक मध्यप्रदेश में पिछले कुछ दिनों से लगातार छुट्टियों का ऐलान हो रहा है। पहले महाराणा प्रताप जयंती को लेकर छुट्टी घोषित की गई।
इसके बाद परशुराम जयंती, बिरसा मुंडा जयंती को लेकर भी अवकाश घोषित कर दिया गया, इतना ही नहीं तेजा दशमी, चित्रगुप्त प्रकट उत्सव को भी ऐच्छिक अवकाश घोषित किए गए हैं। अब इन छुट्टियों का विरोध सरकारी कर्मचारी करने लगे हैं कर्मचारी संगठनों का कहना है कि इससे आम लोगों का काम भी प्रभावित होगा। छुट्टी अधिक होने की वजह से कर्मचारियों पर अतिरिक्त बोझ भी पड़ेगा। कर्मचारी संगठनों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चिट्ठी भी लिखी है। कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि छुट्टी की घोषणा करने में कोई अतिरिक्त खर्च नहीं आता है इसलिए धड़ाधड़ अवकाश की घोषणा की जा रही है।
आमतौर पर सरकारी कर्मचारी छुट्टियों को लेकर हमेशा अपनी मांग उठाते आए हैं, लेकिन सरकार द्वारा लगातार की जा रही घोषणा के चलते अब विरोध शुरू हो गया है। एक वर्ष का आंकलन किया जाए तो 365 दिन में से 52 रविवार आने के बाद 313 दिन शेष बचते हैं। इसके बाद यदि बड़े धार्मिक और राष्ट्रीय पर्व को जोड़ लिया जाए तो कम से 2 सप्ताह और अवकाश में जुड़ जाएगा. इस प्रकार 289 दिन कार्य के बचते हैं। जिन कार्यालयों में दूसरे और चौथे शनिवार की छुट्टी होती है वहां पर 265 दिन ही कार्यालय लगेगा।
इसके अलावा कर्मचारियों की को मिलने वाली छुट्टियों को जोड़ लिया जाए तो लगभग 60 दिन की छुट्टियां और कम हो जाएगी. इस प्रकार मध्य प्रदेश में 200 से भी कम दिन तक सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों के मौजूदगी रहेगी। अब मुख्यमंत्री द्वारा घोषित की जाने वाली छुट्टियों को और जोड़ लिया जाए तो आंकड़ा और भी नीचे चला जाएगा।
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