रायपुर: बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) ने महिलाओं के आरक्षण को लेकर अहम फैसला सुनाया है. एक महिला की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट की एकल पीठ ने कहा कि महिलाओं के लिए 30 फीसदी से अधिक आरक्षण की अनुमित नहीं दी जा सकती है. इतना ही नहीं कोर्ट ने अपने आदेश में वर्टिकल, होरिजेंटल आरक्षण को भी नए सिरे से स्पष्ट किया है. बता दें कि लोक सेवा आयोग (PSC) 2014 के लिए जारी मेरिट लिस्ट को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी.
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट सहित अन्य कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए वर्टिकल, होरिजेंटल आरक्षण को भी स्पष्ट किया. कोर्ट ने कहा कि वर्टिकल आरक्षण 50 फीसदी अनारक्षित और एससी, एसटी और ओबीसी के लिए है. एससी, एसटी और ओबीसी को वर्टिकल आरक्षण का लाभ दिया जाता है. वहीं शारीरिक रूप से विकलांगों को होरिजेंटल आरक्षण का लाभ दिया जाता है.
मामले की सुनवाई को दौरान कहा गया कि महिला 29वें नंबर पर थी. मेरिट लिस्ट में उनका नाम नहीं था. ऐसे में उनको मेरिट लिस्ट को चुनौती देते हुए याचिका दायर करने का अधिकार नहीं था. वहीं पीएससी की ओर से जानकारी दी गई थी कि नियमों के आधार पर ही मेरिट लिस्ट जारी की गई थी. सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने महिला की याचिका को खारिज कर दिया.
दरअसल, पीएससी ने साल 2014 में राज्य प्रशासनिक सेवा के कई पदों पर विज्ञापन जारी किए थे. इसमें डिप्टी कलेक्टर के 21 पद भी शामिल थे. 21 पदों में से 9 पद अनारक्षित, 2 पद एससी, 7 पद एसटी और 3 पद ओबीसी के लिए आरक्षित थे. इसमें से महिला आरक्षण के तहत 2 पद अनारक्षित महिला और 2 पद एसटी वर्ग की महिला के लिए आरक्षित थे. विज्ञापन के मुताबिक ओबीसी महिला के पद आरक्षित नहीं थे. चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद मेरिट में 10वें नंबर पर ओबीसी के प्रतिभागी का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ था.
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