नई दिल्ली: रेलवे की शीर्ष अधिकारी जया वर्मा सिन्हा ने रविवार को कहा कि प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि सिग्नल में कुछ समस्या थी. केवल कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना का शिकार हुई. उन्होंने बताया कि हादसे के समय ट्रेन की गति करीब 128 किमी/घंटा थी. सिन्हा, जो रेलवे बोर्ड के संचालन और व्यवसाय विकास की सदस्य हैं, ने आगे कहा कि उन्हें अभी भी रेलवे सुरक्षा आयुक्त की विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार है.
हादसा कैसे हुआ? इसके बारे में जानकारी देते हुए सिन्हा ने एक प्रेस वार्ता में कहा, ‘मालगाड़ी पटरी से नहीं उतरी. चूंकि मालगाड़ी लौह अयस्क ले जा रही थी, इसलिए सबसे ज्यादा नुकसान कोरोमंडल एक्सप्रेस को हुआ. यही वजह है कि बड़ी संख्या में मौतें हुईं और लोग जख्मी हुए.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मालगाड़ी से टकराने के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस की पटरी से उतरी बोगियां डाउन लाइन पर आ गईं, और यशवंतपुर एक्सप्रेस की आखिरी दो बोगियों से टकरा गईं, जो डाउन लाइन से 126 किमी/घंटा की गति से पार कर रही थी.’
बालासोर जिले में शुक्रवार की शाम लगभग सात बजे शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने और एक मालगाड़ी से टकराने से यह हादसा हुआ. दोनों यात्री ट्रेन में करीब 2500 यात्री सवार थे. दुर्घटना में 21 डिब्बे पटरी से उतर गए और गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए, जिससे सैकड़ों यात्री फंस गए. दोनों यात्री रेलगाड़ियां तीव्र गति से चल रही थीं और विशेषज्ञों ने इसे हताहतों की अधिक संख्या के मुख्य कारणों में से एक बताया है.
रेल हादसे के बाद करीब 90 ट्रेन को रद्द किया गया है, जबकि 46 ट्रेन के मार्ग में परिवर्तन किया गया. हादसे के कारण प्रभावित ज्यादातर ट्रेन दक्षिण और दक्षिण-पूर्व रेलवे जोन की हैं. एक अधिकारी ने शनिवार अपराह्न तक उपलब्ध रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि हादसे में 288 यात्रियों की मौत हुई है. वहीं, 56 घायलों की हालत गंभीर है.
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