बालासोर (Balasore)। ओडिशा (Odisha Train Accident) के बालासोर में हुई तीन ट्रेनों की टक्कर के बाद का मंजर बहुत भयावह है. हर तरफ अपनों की खोज और घायलों के इलाज लिए चीख-पुकार का माहौल है. बालासोर (Balasore) के अस्पतालों (hospitals) में डॉक्टर घायल लोगों की जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
दरअसल, ओडिशा के बालासोर का सरकारी जिला अस्पताल शनिवार को एक युद्ध क्षेत्र के जैसा दिखाई दे रहा था। अस्पताल का कॉरिडोर (गलियारा) स्ट्रेचर पर पड़े घायलों से भर गया, कॉरिडोर से लेकर अस्पताल के बाहर तक लोगों की भीड़ दिखी. घायल यात्रियों का इलाज के लिए यहां तांता लगा हुआ है।
बहादुरी से लड़ रहे मेडिकल कर्मचारी
शुक्रवार (2 जून) की रात बालासोर जिले में हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना के बाद से खबर लिखे जाने तक 288 लोग जान गंवा चुके हैं। करीब एक हजार लोग घायल हुए हैं. कई घायल यात्रियों को अलग-अलग अस्पतालों में ले जाया गया है. डॉक्टर और मेडिकल कर्मचारी अफरातफरी के बीच लोगों की जान बचाने के लिए बहादुरी से लड़ रहे हैं. खबरों के मुताबिक, शुक्रवार की दुर्घटना के बाद 500 से ज्यादा घायलों को बालासोर जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
जीवन बचाने के लिए हर संभव कोशिश
मेडिकल कर्मचारी घायल यात्रियों का जीवन बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। एक खबर के अनुसार अस्पताल में ज्यादा से ज्यादा घायल यात्रियों के इलाज के लिए अतिरिक्त बिस्तर जोड़े गए हैं. इसके अलावा घायलों को बालासोर, सोरो, भद्रक, जाजपुर और कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में ले जाया गया है।
स्कूल बना अस्थायी मुर्दाघर
एक रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा में स्थिती कितना भयावह है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के बहानगा गांव में, एक दशक पुराने हाई स्कूल को अस्थायी मुर्दाघर में बदल दिया गया है। दरअसल, ट्रेन त्रासदी में मरने वालों की संख्या जैसे-जैसे बढ़ती गई, दिनभर लाशों को बाहर निकालने के बाद उन्हें सुरक्षित जगह रखने की चुनौती अधिकारियों के सामने आ गई। ऐसे में अधिकारियों ने घटनास्थल से 300 मीटर दूर एक स्कूल को शवों को रखने के लिए चुना।
जीवन में कभी ऐसी अराजकता नहीं देखी- डॉक्टर
बालासोर जिला मुख्यालय अस्पताल के अतिरिक्त जिला चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर मृत्युंजय मिश्रा ने बताया, “मैं कई दशकों से इस पेशे में हूं, लेकिन मैंने अपने जीवन में कभी ऐसी अराजकता नहीं देखी… अचानक, 251 घायल लोगों को हमारे अस्पताल में ले आया गया और हम इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे. हमारे कर्मचारियों ने पूरी रात काम किया और सभी को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की।”
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