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बेहद भव्य और त्रिभुजाकार अवस्था में बना है नया संसद भवन, जानिए क्‍या है इसकी विशेषता

May 28, 2023

नई दिल्‍ली (New Delhi) । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) कुछ ही देर में नए संसद भवन (New Parliament Building) का उद्घाटन (Inauguration) करने वाले हैं। आज देशभर की नजरें भारतीय लोकतंत्र के नए मंदिर पर हैं। बेहद भव्य और त्रिभुजाकार अवस्था में बना नया संसद भवन रविवार को 135 भारतीयों के लिए समर्पित किया जाएगा। नए संसद भवन में कई विशेषताओं के साथ उत्कृष्ट कलाकृतियों का समागम है। 971 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित, नया परिसर भारत की प्रगति का प्रतीक है और सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा। नई संसद भवन को पुराने भवन के बजाय त्रिभुजाकार में बनाया गया है। ऐसा क्यों है? दरअसल, इस आकार का वैदिक संस्कृति और तंत्रशास्त्र से गहरा नाता है। आइए समझते हैं।

आज देश के 135 भारतीयों को लोकतंत्र का मंदिर मिलने वाला है। पुरानी संसद भवन के बजाय लोकतंत्र के सभी फैसले नए और भव्य संसद भवन से किए जाएंगे। नई संसद परिसर में पहले के बजाय काफी ज्यादा सुविधाएं और हाईटेक व्यवस्था है। यहां पहले से कहीं ज्यादा बड़े विधायी कक्ष होंगे। लोकसभा में राष्ट्रीय पक्षी मोर की आकृति पर बनी नई 888 सीटों की व्यवस्था की गई है। जबकि राज्यसभा में 348 सीटों को राष्ट्रीय फूल कमल की आकृति दी गई है। संयुक्त सत्र के लिए 1272 सीटों वाला एक वृहद हॉल बनाया गया है।


भवन का आकार तिकौना क्यों
संसद भवन की वास्तुकला निर्मित करने वाले बिमल पटेल ने पीटीआई को बताया, “नया संसद भवन त्रिकोणीय आकार में डिजाइन किया गया है। पिछला संसद भवन गोलाकार था। नई संसद भवन के तिकौना आकार का संबंध वैदिक संस्कृति औऱ तंत्रशास्त्र है। सबसे पहली बात यह एक त्रिकोणीय भूखंड पर स्थित है और इसके तीन प्रमुख हिस्से हैं- लोकसभा, राज्यसभा और एक सेंट्रल लाउंज। इसके अलावा, त्रिकोण आकार देश के विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों में पवित्र ज्यामिति का प्रतीक है।

धार्मिक महत्व
वास्तुकार बिमल पटेल ने पीटीआई को आगे बताया कि इसका धार्मिक महत्व भी है। इस तिकौने आकार में सभी तरह का धार्मिक समायोजन है। हमारे कई पवित्र धर्मों में त्रिभुज आकार का महत्व है। श्रीयंत भी त्रिभुजाकार है। तीन देवता या त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) भी त्रिभुज का प्रतीक हैं। इसीलिए त्रिभुज आकार का नई संसद भवन बेहद पवित्र और शुभ है।

नए संसद भवन की प्रमुख विशेषताएं-
नए परिसर में बड़े विधायी कक्ष हैं। नई लोकसभा में 888 सीटों को राष्ट्रीय पक्षी मोर का आकार दिया है, जहां बैठने की वर्तमान क्षमता से तीन गुना अधिक है। जबकि राज्य सभा के लिए 348 सीटें होंगी, जो राष्ट्रीय पुष्प कमल की थीम पर है। नए भवन में लोकसभा हॉल संयुक्त सत्र के लिए 1272 सीटों का समागम है। यहां एक बरगद का पेड़ भी है। दो विधायी कक्षों के अलावा, नया परिसर केंद्र में एक अतिरिक्त’संवैधानिक हॉल’ की मेजबानी करेगा। इसके बाहरी हिस्से में पिछले भवन की तरह कार्यालय होंगे और पुराने परिसर से केंद्रीय संयुक्त सत्र एलएस हॉल का एक हिस्सा होगा। जैसा कि ऊपर बताया गया है। नए परिसर में कार्यालयों को ‘अल्ट्रा-मॉडर्न’ फैशन में डिजाइन किया गया है, जो नवीनतम संचार तकनीकों से लैस हैं और बेहद सुरक्षित और कुशल हैं। इसके अतिरिक्त, नए परिसर में बड़े समिति कक्ष हैं, जो दक्षता बढ़ाने के लिए नवीनतम तकनीक और उद्देश्य-डिजाइन स्थानों से सुसज्जित हैं।

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