– योगेश कुमार गोयल
देश की नई संसद का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इसका उद्घाटन 28 मई को हो रहा है। नई संसद के निर्माण का विषय शुरूआत से ही राजनीति का केन्द्रबिन्दु बना हुआ है और अब इसके उद्घाटन के समय भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान चल रहा है। 10 दिसम्बर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भारतीय संसद की नई इमारत का शिलान्यास किया गया था, जिसे ढ़ाई वर्ष से भी कम समय में उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा कर लिया गया है। 28 मई को इसके उद्घाटन के साथ ही संसद का पुराना भवन प्राचीन धरोहर का हिस्सा बन जाएगा।
शुरूआत में जहां नई संसद बनने पर होने वाले भारी-भरकम खर्च को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर रहा, वहीं अब इसके उद्घाटन की टाइमिंग और इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री के हाथों होने को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। दरअसल सरकार ने इसके उद्घाटन को लेकर वीर सावरकर की जयंती का दिन चुना है, जो विपक्ष को रास नहीं आ रहा है। विपक्ष का तर्क है कि इसका उद्घाटन स्वतंत्रता दिवस या ऐसे ही किसी अन्य ऐतिहासिक अवसर पर भी कराया जा सकता था। इसके अलावा विपक्ष का एक सुर में यह भी कहना है कि नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नहीं बल्कि राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए।
बहरहाल, राजनीतिक खींचतान अपनी जगह, लेकिन सवाल यह भी है कि ब्रिटिश काल में बने पुराने भव्य और मजबूत संसद भवन के होने के बावजूद सैंकड़ों करोड़ रुपये खर्च कर नया भवन बनाने की जरूरत आखिर क्यों पड़ी? यहां यह जानना जरूरी है कि पुराने संसद भवन को बने 100 वर्ष पूरे हो गए हैं और उसकी मियाद यही तय की गई थी। दूसरे पुरानी संसद में सदस्यों के बैठने के लिए सीटों की संख्या सीमित है। संसद की नई इमारत में दोनों सदनों की सीटों की संख्या को बढ़ाया गया है ताकि भविष्य में लोकसभा और राज्यसभा में सीटें बढ़ने की स्थिति में किसी प्रकार की कोई परेशानी सामने न आए। देश में 2026 में नए सिरे से लोकसभा सीटों के परिसीमन का कार्य होने की संभावना है, जिसके बाद लोकसभा और राज्यसभा की सीटें बढ़ना तय माना जा रहा है। लोकसभा में फिलहाल 545 सांसद हैं और मौजूदा लोकसभा में करीब 550 संसद सदस्यों के बैठने की ही जगह है। परिसीमन का कार्य होने के बाद सांसदों की संख्या मौजूदा 545 से बढ़ना निश्चित है। माना जा रहा है कि यह संख्या 100 से 150 तक हो सकती है। सवाल है कि तब 150 से ज्यादा सांसद कहां बैंठेंगे। इसी प्रकार राज्यसभा की सीटें भी परिसीमन के बाद बढ़ सकती हैं। यही कारण है कि भविष्य की इन जरूरतों को पूरा करने के लिए नए भवन की जरूरत तो पड़ेगी ही ताकि सभी सांसद सहजता से अपना कामकाज कर सकें।
ब्रिटिशकालीन संसद भवन में सुविधाओं की कमी और इसके बुनियादी ढ़ांचे में खामियों को देखते हुए 13 जुलाई, 2012 को कांग्रेस के शासनकाल में लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार ने, उसके बाद 9 दिसम्बर 2015 को सुमित्रा महाजन ने तथा 2 अगस्त 2019 को लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला ने सरकार को पत्र लिखकर नए संसद भवन का अनुरोध किया था। नए भवन का शिलान्यास करते समय प्रधानमंत्री ने इसी को रेखांकित करते हुए कहा था कि सांसद ही कई वर्षों से मांग कर रहे थे कि मौजूदा संसद भवन में उनकी जरूरतों के हिसाब से व्यवस्थाएं नहीं हैं, न ही संसद भवन में सांसदों के कार्यालय हैं। समस्या यह थी कि मौजूदा संसद भवन परिसर में जगह की कमी के कारण ये तमाम व्यवस्थाएं करना संभव भी नहीं थी। नए संसद भवन में प्रत्येक सांसद को कार्यालय के लिए 40 वर्ग मीटर स्थान उपलब्ध कराया जाएगा। संसद की नई इमारत में राज्यसभा का आकार पहले के मुकाबले बढ़ेगा तथा लोकसभा का आकार भी मौजूदा से तीन गुना ज्यादा होगा।
लोकसभा सचिवालय के मुताबिक संसद की नई इमारत में प्रत्येक सांसद के लिए अलग ऑफिस होगा और हर ऑफिस सभी आधुनिक डिजिटल तकनीकों से लैस होगा। नई संसद में सांसदों के कार्यालयों को पेपरलेस ऑफिस बनाने के लिए नवीनतम डिजिटल इंटरफेस से लैस किया जा रहा है और इन दफ्तरों को अंडरग्राउंड टनल से जोड़ा जाएगा। सदन में प्रत्येक बेंच पर दो सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है और प्रत्येक सीट डिजिटल प्रणाली तथा टचस्क्रीन से सुसज्जित की गई है। नए भवन में कॉन्स्टीट्यूशन हॉल, सांसद लॉज, लाइब्रेरी, कमेटी रूम, भोजनालय और पार्किंग की व्यवस्था भी की गई है और भवन में करीब 1400 सांसदों के बैठने की व्यवस्था है।
नया भवन सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत मौजूदा संसद भवन के पास ही बनाया गया है, जिसके निर्माण के लिए टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को टेंडर मिला था। संसद की नई इमारत का कार्य करीब 22 माह की अवधि में पूरा होने का अनुमान था लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से इसमें थोड़ा विलम्ब हुआ है। नए भवन की आंतरिक और बाहरी सजावट में लकड़ी का व्यापक उपयोग किया गया है और भवन की भव्यता व सुंदरता बढ़ाने के लिए इस पर बहुत सुंदर कारीगरी की गई है। इसके लिए नागपुर से मंगाई गई लकड़ी पर मुम्बई के शिल्पकारों तथा कारीगरों द्वारा खूबसूरत डिजाइन उकेरे गए हैं। नए संसद भवन को वास्तुकार बिमल पटेल के दिशा-निर्देशन में अहमदाबाद स्थित एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग व मैनेजमेंट ने डिजाइन किया है।
वास्तुविदों ने संसद के नए भवन को बनाने के लिए कई देशों की संसद का निरीक्षण कर उनसे प्रेरणा ली। नई संसद में रेन हार्वेस्टिंग प्रणाली तथा वाटर रिसाइकलिंग प्रणाली के भी प्रबंध किए गए हैं। नई संसद वायु एवं ध्वनि प्रदूषण से पूरी तरह मुक्त होगी और इसमें सौर प्रणाली से ऊर्जा की बचत भी होगी। तमाम सुरक्षा सुविधाओं से लैस त्रिकोणीय आकार की इस भव्य इमारत को भूकम्परोधी तकनीक से बनाया गया है। 64, 500 वर्गमीटर क्षेत्र में बने नए संसद भवन में एक बेसमेंट सहित कुल चार फ्लोर हैं, जिसकी ऊंचाई संसद के मौजूदा भवन के बराबर ही है। लोकसभा कक्ष का डिजाइन राष्ट्रीय पक्षी मयूर जैसा जबकि राज्यसभा कक्ष का डिजाइन राष्ट्रीय पुष्प कमल जैसा बनाया गया है। संसद की नई इमारत में उच्चतम संरचनात्मक सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए उच्च गुणवत्ता वाली ध्वनि, आधुनिक दृश्य-श्रव्य सुविधाएं, डाटा नेटवर्क प्रणाली, बैठने की आरामदायक व्यवस्था, प्रभावी और समावेशी आपातकालीन निकासी की व्यवस्थाएं भी हैं। नया संसद भवन त्रिकोणीय है, जिसका निर्माण वैदिक रीति से वास्तु के अनुसार किया गया है और यह अत्याधुनिक, तकनीकी सुविधाओं से युक्त तथा ऊर्जा कुशल भी है। कुल मिलाकर नए भवन की सज्जा में भारतीय संस्कृति, क्षेत्रीय कला, शिल्प एवं वास्तुकला की विविधता का समृद्ध मिला-जुला स्वरूप है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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