नई दिल्ली (New Delhi)। एलन मस्क की कंपनी Neuralink को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) की ओर से इंसानों पर ट्रायल के लिए हरी झंडी मिल गई है। अब Neuralink इंसानों के दिमाग में चिप लगाकर ह्यूमन ट्रायल कर सकेगी। इससे पहले Neuralink के चिप का ट्रायल बंदरों पर सफल हो चुका है।
Neuralink ने इस मंजूरी को लेकर एक ट्वीट भी किया है। न्यूरालिंक ने कहा है कि एफडीए की मंजूरी एक महत्वपूर्ण पहले कदम का प्रतिनिधित्व करती है जो एक दिन हमारी तकनीक को कई लोगों की मदद करने की अनुमति देगी, हालांकि न्यूरालिंक ने अपने आगे के प्लान के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी है।
Neuralink की यह ब्रेन इंप्लांट टेक्नोलॉजी कई मायनों में बहुत ही उपयोगी साबित होने वाली है। दिमाग में चिप लगाकर कई मरीजों की काफी मदद की जा सकती है। यदि यह ट्रायल सफल रहता है तो जो बोलने में असमर्थ हैं, या जो दिमागी रूप से सक्षम नहीं हैं, इसके अलावा लकवाग्रस्त मरीजों के लिए यह वरदान साबित होगा।
एलन मस्क को अपनी इस टेक्नोलॉजी पर इतना भरोसा है कि उन्होंने पिछले साल कहा था कि वे अपने बच्चों के दिमाग में इस चिप को लगाने के लिए तैयार हैं। एलन मस्क ने 2019 में कहा था कि साल 2022 तक Neuralink को FDA से ह्यूमन ट्रायल के लिए मंजूरी मिल जाएगी, हालांकि एफडीए ने कई बार एलन मस्क के आवेदन को कई बार नामंजूर भी किया है।
FDA को Neuralink के साथ सबसे बड़ी समस्या चिप में मौजूद लिथियम बैटरी को लेकर है। एफडीए का कहना है कि किसी भी कारण से यदि दिमाग में चिप की बैटरी लीक होती है तो उसके परिणाम भयावह हो सकते हैं। Neuralink के चिप के साथ सबसे बड़ा चैलेंज दिमाग की कोशिकाओं को लेकर है।
Neuralink ने इससे पहले बंदरों में इस चिप का ट्रायल किया है। न्यूरालिंक ने एक वीडियो भी शेयर किया था जिसमें दावा किया गया था कि बंदर के दिमाग में चिप लगाने के बाद वह कंप्यूटर पर गेम खेलने लगा। Neuralink के इस ट्रायल को लेकर जांच भी चल रही है कि कहीं कंपनी ने बंदर को इस ट्रायल में नुकसान तो नहीं पहुंचाया और चिप को दिमाग में सही तरीके से इंस्टॉल किया गया था या नहीं।
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