नई दिल्ली: इस महीने की शुरुआत में फैली हिंसा के चलते मणिपुर में आर्थिक संकट पैदा हो गया है. राज्य के बाहर से सामानों का आयात प्रभावित हुआ है, इस वजह से राज्य के अंदर जरूरी सामान दोगुनी कीमत पर मिल रहे हैं. मणिपुर के ज्यादातर इलाकों में सिलिंडर, पेट्रोल, चावल, आलू, प्याज और अंडे जैसे ज़रूरी सामान तय कीमत से बहुत ज्यादा कीमत पर बिक रहे हैं.
PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, इम्फाल वेस्ट डिस्ट्रिक्ट की एक स्कूल टीचर मांगलेम्बी चनम ने बताया, “पहले चावल की 50 किलो की बोरी 900 रुपये में मिलती थी, पर ये अब 1800 रुपये में मिल रहा है. आलू-प्याज़ के दाम भी 20-30 रुपये बढ़ गए हैं. हर वो सामान जो राज्य के बाहर से लाया जाता है, उसकी कीमत बढ़ी हुई है.”
आलू 100 रुपये किलो तक में बिका
चनम ने बताया कि ब्लैक मार्केट में एक गैस सिलिंडर 1800 रुपये का मिल रहा है, वहीं कई इलाकों में पेट्रोल की कीमत 170 रुपये प्रति लीटर हो गई है. उन्होंने बताया, “अंडों की कीमत भी बढ़ गई है. 30 अंडों का एक क्रेट 180 रुपये में मिल जाता है, पर अभी 300 रुपये में मिल रहा है.” उनका कहना है कि एसेंशियल आइटम्स से भरे ट्रक्स सिक्योरिटी फोर्सेस की कड़ी निगरानी में रखे गए हैं, नहीं तो कीमतें और ज्यादा बढ़ सकती थीं. उन्होंने बताया कि सिक्योरिटी फोर्सेस के आने से पहले आलू की कीमत 100 रुपये प्रति किलो हो गई थी.
जहां हिंसा नहीं हुई वहां क्या हाल हैं?
मणिपुर के जो जिले हिंसा से प्रभावित नहीं हुए थे, वहां पर एसेंशियल कमोडिटीज की कीमतों में ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है. तमेंगलॉन्ग डिस्ट्रिक्ट में राशन की दुकान चलाने वाली रेबेका गंगमेई ने कहा, “ज़रूरी सामानों, खासकर चावल की कीमतों में काफी उछाल आया. जबकि हमारे जिले में कोई हिंसा नहं हुई थी. केवल मांस की कीमतों में कोई बदलाव नहीं देखा गया, क्योंकि ये दूसरे राज्यों से इम्पोर्ट नहीं होता है और स्थानीय लोगों से ही खरीदा जाता है.”
उखरुल जिले के एक सरकारी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर पमचुइला काशुंग ने कहा कि उनका जिला नगालैंड के करीब है, वहां से सामान आ जाता है, इस वजह से कीमतों में ज्यादा उछाल नहीं आया है. हालांकि, उनका कहना है कि इसके बावजूद चावल और कुछ और सामानों की कीमत काफी तेज़ी से बढ़ी है.
क्या हुआ था मणिपुर में?
दरअसल, मैती समुदाय ने शिड्यूल्ड ट्राइब (ST) का दर्जा देने की मांग की थी. इसके विरोध में 3 मई को इम्फाल वैली में ट्राइबल सॉलिडैरिटी मार्च का आयोजन किया गया था. इसके बाद मैती और कुकी समुदाय के बीच हिंसा हुई, जिसमें 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.जगह-जगह पर चक्काजाम किया गया था, इस वजह से राज्य में ट्रकों की आवाजाही प्रभावित हुई. ट्रांसपोर्टर्स में भी डर था कि इस मार्च की वजह से मणिपुर में हिंसा हो सकती है. इस वजह से राज्य में ज़रूरी सामानों की सप्लाई प्रभावित हुई. इस हिंसा में सबसे ज्यादा इम्फाल वेस्ट जिला प्रभावित हुआ. हालात ज्यादा बिगड़े तो आर्मी और पैरा-मिलिट्री के करीब 10 हजार जवानों की तैनाती राज्य में की गई. डिफेंस स्पोक्स पर्सन का कहना है कि सिक्योरिटी फोर्सेस राज्य में नॉर्मैल्सी रिस्टोर करने की पूरी कोशिश कर रही हैं.
आपको बता दें कि मैती समुदाय मणिपुर की कुल जनसंख्या का 53 प्रतिशत हैं, इस समुदाय के लोग ज्यादातर इम्फाल वैली में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी ट्राइब्स मिलकर मणिपुर की जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं. ये दोनों समुदाय मुख्यरूप से मणिपुर के पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
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