नई दिल्ली (New Delhi) । कमर दर्द या पीठ दर्द (groin pain or back pain) की समस्या से अक्सर लोग परेशान रहते हैं क्योंकि यह समस्या काफी कॉमन है. कमर दर्द या पीठ दर्द की समस्या सबसे ज्यादा 40 साल की उम्र के बाद शुरू होती है. लेकिन एक शोध की मानें तो यह समस्या पुरुषों से ज्यादा महिलाओं (ladies) में होती है और उनमें यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है. बदलती जीवनशैली और असंतुलित खानपान (lifestyle and unbalanced diet) की वजह से कमर दर्द की समस्या से तमाम महिलाएं जूझ रही हैं. महिलाओं में यह समस्या पीरियड्स और प्रेगनेंसी के दौरान सबसे ज्यादा होती है. इसके अलावा महिलाओं में कमर दर्द की समस्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं. अधिकतर महिलाएं कमर दर्द की समस्या से बचने के लिए तमाम प्रकार की दवाओं का सेवन करती हैं लेकिन फिर भी उन्हें इस समस्या से पूरी तरह आराम नहीं मिलता है.
ऐसा नहीं है कि कम उम्र की महिलाओं को कमर दर्द नहीं होता है. युवा महिलाओं में कमर दर्द के कारण मांसपेशियों में मोच, झटका, हर्नियेटेड या डिजेनरेटेड डिस्क या साइटिका (herniated or degenerated disc or sciatica) जैसी समस्याएं आ सकती हैं. डॉक्टर ने बताया कि ‘महिलाओं में पीठ दर्द के कई कारण हो सकते हैं जैसे प्रीमेंस्टुअल सिंड्रोम, एंडोमेट्रियोसिस, डिसमेनोरिया यानी दर्द वाले पीरियड्स और प्रेग्नेंसी आदि.’ तो आइए इन कारण को विस्तार से समझते हैं.
प्रेग्नेंसी
प्रेग्नेंसी में महिलाओं को अक्सर कमर दर्द की समस्या से जूझना पड़ता है. प्रेग्नेंसी में कमर दर्द की समस्या में सबसे ज्यादा दर्द कमर के ठीक नीचे और टेलबोन के पास होता है. प्रेग्नेंसी के 5वें महीने के बाद कमर में होने वाला दर्द बढ़ जाता है और इसकी वजह से महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
ऑस्टिओपोरोसिस
40 साल की उम्र की महिलाएं एस्ट्रोजन की कमी के कारण प्री-मेनोपॉज अवधि का अनुभव करती हैं, जिसकी वजह से उनकी हड्डियों पर असर पड़ता है. वहीं उम्र बढ़ने की वजह से भी पीठ दर्द के कई कारण होते हैं जैसे स्पांडिलाइटिस, स्पाइनल स्टेनोसिस और डिजेनेरेटिव डिस्क आदि. महिला जब 40 साल की उम्र तक पहुंचती है तो उसे प्री-मेनोपोजल अवस्था का सामना करना पड़ता है और उसका एस्ट्रोजन लेवल भी काफी अधिक गिर जाती है, जिसके कारण महिलाओं को हड्डियां कमजोर होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
मोटापा
मोटापा भी कमर दर्द का एक कारण है. महिलाओं को सही जीवनशैली अपनाकर अपने आप को स्वस्थ रखना चाहिए. उन्हें बैठते समय रीढ़ को सीधा रखना चाहिए. साथ ही साथ रोज व्यायाम करना चाहिए. अगर वो किसी तरह का विटामिन डी और कैल्शियम ले रही हैं तो उन्हें अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए.
मेनोपॉज
उम्र बढ़ना एक ऐसा बदलाव है जो हर इंसान में देखने को मिलता है. इसी प्रकार एक औरत अपने हर 10 साल में शारीरिक बदलावों का सामना करती है, जिसके परिणामस्वरूप वो अपने शरीर को बच्चा पैदा करने योग्य बनाती है. जब महिला को मेनोपॉज की स्थिति में पहुंच जाती है तो उसे कमर दर्द होना शुरू हो जाता है.
सुस्त लाइफस्टाइल
सुस्त लाइफस्टाइल भी कमर दर्द का कारण है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि 40 साल की उम्र में महिलाएं व्यायाम नहीं करती हैं, जिसकी वजह से उनकी जीवनशैली भी खराब होने लगती है. इससे उनका मोटापा बढ़ने लगता है, पेट में समस्याएं भी होने लगती है जिस कारण से हार्मोनल बदलाव, तनाव की समस्या, नींद कम आना, विटामिन डी की कमी आदि बदलाव होने लगते हैं. यह भी कमर दर्द का कारण बनता है.
कमर दर्द की समस्या से बचने के लिए अपनाएं ये तरीके
– एक्सरसाइज इन कारकों में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्रत्येक प्रकार के व्यायाम जैसे एरोबिक्स, फ्लेग्जिबिलिटी एक्सरसाइज, बैलेंसिंग जैसी एक्सरसाइज कमर दर्द जैसी समस्याओं को ठीक करने और पीठ के निचले हिस्से में दर्द को रोकने में प्रमुख रूप से मदद करते हैं. हाल ही के एक शोध में ये दिखाया गया है कि कमर दर्द का जोखिम उन महिलाओं में सबसे कम है जो हफ्तें में कम से कम 3 से 5 बार व्यायाम करती हैं.
– महिलाओं को अपने पोश्चर पर भी ध्यान देना चाहिए और अपनी रीढ़ को सीधा रखना चाहिए.
– नियमित रूप से व्यायाम करते समय विटामिन डी और कैल्शियम की खुराक लेने के लिए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
– डॉक्टर वजन घटाने के लिए कई सुझाव देते हैं, जिसमें ज्यादा वजन वाली महिलाओं को कम वजन बनाए रखने की सलाह दी जाती है.
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के आधार पर पेश की गई है हम इन पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं.
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