उज्जैन। हवाई जहाज और बुलेट ट्रेन के समय में आज भी पुलिसकर्मियों को सरकार द्वारा पुलिस एक्ट लागू हुआ था, उस समय बनाए गए नियम के आधार पर ही साइकिल भत्ता, मेडिकल भत्ता, वर्दी धुलाई और पौष्टिक आहार के लिए भत्ता दिया जा रहा है। पुलिसकर्मियों को जो भी भत्ता दिया जा रहा है वह वर्तमान समय में नहीं के बराबर है। आज एक तरफ अपराधी भी हाईटेक तरीके का इस्तेमाल कर अपराधों को अंजाम दे रहे हैं, वहीं सरकार पुलिस को हाईटेक बनाने के बजाए पुलिस एक्ट लागू हुआ था उस समय के नियम पर ही उलझी हुई है। वर्तमान में कोई पुलिस कांस्टेबल साइकिल पर ड्यूटी करते नहीं दिखता। मगर आश्चर्य की बात है कि आज भी पुलिस को साइकिल के मेंटेनेंस के लिए साइकिल भत्ता दिया जाता है। सरकार की और से अभी भी साइकिल भत्ते के तौर पर हर माह 8 रुपए दिए जाते हैं जबकि अब साइकिल से पुलिसिंग संभव ही नहीं है। उज्जैन के थानों में तैनात पुलिसकर्मी भले ही थाने के काम और ड्यूटी साइकिल से नहीं करते हैं लेकिन आज भी उनको प्रतिमाह 8 रुपए साईकिल भत्ता दिया जाता है। पुराने समय से चला आ रहा है यह भत्ता रात्रि गश्त करने, वारंट तामील करने और आदि पुलिस के कार्य करने के लिए दिया जाता था जो आज भी जारी है।
पुलिस कर्मियों को को जब पुलिस एक्ट लागू हुआ था उस समय का पुराना 8 रुपए साइकिल भत्ता मिल रहा है। यह साइकिल भत्ता जब पुलिस एक्ट लागू हुआ था उस समय स्वीकृत किया गया था। पुलिसकर्मी अब दोपहिया वाहन के लिए पेट्रोल भत्ता चाहते हैं। मंहगाई के इस दौर में पुलिसकर्मियों को हर माह पेट्रोल भत्ता 3 हजार रुपए की आवश्यकता है। पुलिस मुख्यालय द्वारा कई बार साइकिल भत्ते की जगह पेट्रोल अलाउंस दिए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया, पर अब तक पुराने जमाने के इस नियम को बदलने में किसी ने रुचि नहीं दिखाई है। हालांकि विभाग के उच्च अधिकारी पुलिसकर्मियों को दिए जाने वाले इस साइकिल भत्ते में बदलाव कर पेट्रोल अलाउंस दिए जाने को जरूरी मानते हैं। उनका कहना है कि रफ्तार और तकनीक के इस युग में पुलिस नई और आधुनिक गाडिय़ाँ इस्तेमाल कर रही है। इंटरनेट के इस युग में पुलिस को साइबर क्राइम से निपटने के लिए तैयार किया जा रहा है। ऐसे में हाईटेक हो रही पुलिस को साइकिल भत्ता दिया जाना एक तरह का मजाक है।
पुलिसकर्मियों को बाहर जाने पर सुबह शाम खाने के लिए दिए जाने वाला भत्ता तो थाने में बंद मुजरिम से भी कम
अगर थाने के पुलिसकर्मी थाने के किसी कार्य से उज्जैन जिले या बाहर कहीं जाते हैं तो उन्हें दिया जाने वाला सुबह शाम के खाने का भत्ता थाने में बंद मुजरिम से भी कम है। पुलिसकर्मी को दोनों समय खाने के लिए राज्य शासन की ओर से मात्र 70 रुपए दिए जाते हैं और थाने में अगर मुजरिम बंद है तो एक मुजरिम के लिए 120 रुपए प्रतिदिन की राशि तय है ।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved