नई दिल्ली (New Delhi) । भारत (India) में समय से पहले मरने वालों में उच्च रक्तचाप (hypertension) प्रमुख कारणों में से एक है। देश में हर साल मिलने वाले स्ट्रोक के 29 फीसदी और हार्ट अटैक के 24 फीसदी मामलों में भी उच्च रक्तचाप जिम्मेदार है। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल बताते हैं, जीवनशैली में बदलाव के जरिये इसे रोका जा सकता है, जिसमें शारीरिक गतिविधि (physical activity), योग और आहार संशोधन शामिल है। इसके अलावा, लोगों को नियमित अंतराल पर रक्तचाप की जांच करानी चाहिए।
गांव, शहर दोनों ही परेशान
मानसिक तनाव (mental stress) रक्तचाप को बढ़ाने में सबसे अहम किरदार निभाता है। इसलिए तनाव से बचना चाहिए। उच्च रक्तचाप (हाई बीपी) एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है, जो शहरी और ग्रामीण दोनों ही आबादी में देखने को मिल रही है। – डॉ. दौरे राज प्रभाकरन, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया
भारत में सालाना 2.60 लाख मौतों के लिए उच्च रक्तचाप को प्रमुख कारण माना जाता है। वहीं वैश्विक स्तर पर हर साल 94 लाख से ज्यादा लोगों की मौत इसकी वजह से हो रही है।
आधे से ज्यादा लोगों को पता ही नहीं चलता
एम्स, नई दिल्ली के डॉ. अरविंद कुमार का कहना है कि अगर किसी को लंबे समय तक उच्च रक्तचाप की परेशानी है, तो यह हृदय रोग को बढ़ावा दे सकती है। आधे से ज्यादा लोगों को अपने उच्च रक्तचाप के बारे में पता ही नहीं होता है। इन रोगियों से जब पूछा जाता है तो उनमें से अधिकांश को यह याद नहीं कि अंतिम बार रक्तचाप की जांच कब कराई थी? इस ‘साइलेंट किलर’ से दुनिया में हर तीसरा व्यक्ति पीड़ित है।
रक्तचाप सही रखने के टिप्स
वजन नियंत्रण में रखें।
नियमित रूप से व्यायाम-योग करें।
हर दिन खूब फल और सब्जियां खाएं।
नमक व तली हुई चीजों का सेवन कम करें।
तम्बाकू-धूम्रपान बंद करें।
कैफीन का सेवन कम करें।
ज्यादा शराब का सेवन न करें।
मध्यम और निम्न आय वर्ग वाले देशों में उच्च रक्तचाप की समस्या न सिर्फ स्वास्थ्य बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास पर भी काफी प्रभाव डाल रही है।
10 में से केवल एक व्यक्ति का उच्च रक्तचाप नियंत्रण में : डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह के अनुसार, दक्षिण एशिया में एक चौथाई वयस्क आबादी उच्च रक्तचाप से पीड़ित है। यहां तीन में से केवल एक रोगी का इलाज चल रहा है, जबकि 10 वयस्कों में से केवल एक ही अपने रक्तचाप को नियंत्रण में रख पाता है। उन्होंने कहा, उच्च रक्तचाप वाले लगभग आधे लोग अपनी स्थिति से अनजान हैं।
क्या है उच्च रक्तचाप
रक्तचाप रक्तवाहिनियों में बहते रक्त द्वारा उनकी दीवारों पर डाले गए दबाव को कहते हैं।
उच्च रक्तचाप की स्थिति में धमनियों में रक्त का अतिरिक्त दबाव बढ़ जाता है।
यह 140 एमएमएचजी से अधिक या उसके बराबर के स्तर तक पहुंच जाता है। इसके लिए डॉक्टर रोगी को ‘एंटी-हाइपरटेंसिव’ दवा देते हैं।
उच्च रक्तचाप के कारण
उम्र, पारिवारिक इतिहास, जीवनशैली-खानपान में गड़बड़ी, मोटापा, सोडियम का अधिक सेवन और शराब-धूम्रपान जैसी आदतें मुख्य रूप से इसके लिए जिम्मेदार मानी जानी जाती हैं।
कुछ में किडनी रोग, एड्रेनल ग्लैंड ट्यूमर, रक्त वाहिकाओं में (जन्मजात) दोष, कुछ दवाओं के अधिक सेवन से भी यह परेशानी हो सकती है।
क्या कहते हैं आंकड़े
नवंबर, 2017 में शुरू भारत उच्च रक्तचाप नियंत्रण (प्रबंधन) पहल के अनुसार, 2.5 करोड़ लोगों का रक्तचाप नियंत्रित कर अगले 10 वर्षों में हृदय रोग से होने वाली पांच लाख मौतों को रोका जा सकता है।
देश में 21.3 फीसदी महिलाओं और 15 वर्ष से अधिक आयु के 24 फीसदी पुरुषों में उच्च रक्तचाप की समस्या है।
दक्षिणी राज्यों में राष्ट्रीय औसत की तुलना में उच्च रक्तचाप का प्रसार अधिक है।
केरल (32.8 फीसदी पुरुष और 30.9 फीसदी महिलाएं) में तेलंगाना के बाद ऐसे लोगों की संख्या सबसे अधिक है।
भारत में प्रत्येक चार में से एक वयस्क उच्च रक्तचाप से ग्रस्त है। 50 फीसदी लोगों की ही यह समस्या समय पर पहचान में आ पाती है उनमें भी केवल 10 प्रतिशत का ही रक्तचाप नियंत्रण में रहता है।
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