मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर शिंदे सरकार पर निशाना साधा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उन्होंने कहा कि इस वर्तमान सरकार को अंतरिम राहत है। स्पीकर को जल्द से जल्द मामले पर फैसला लेना चाहिए। अगर वे कोई गलत फैसला देते हैं, तो हम फिर कोर्ट जाएंगे। राज्यपाल पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्प्णी को लेकर उद्धव ने कहा कि उन्होंने जो गैरकानूनी काम किया है उसके लिए मुझे लगता है कि उनके खिलाफ मुकदमा चलना चाहिए। राज्यपाल किसी कानून के तहत नहीं आते तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे अपनी मनमर्जी करें।
अजित पवार ने कही यह बात
उद्धव ठाकरे की नैतिक आधार पर इस्तीफा देने की उद्धव ठाकरे की मांग पर NCP नेता अजित पवार ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मौजूदा सीएम एकनाथ शिंदे से नैतिक आधार पर इस्तीफा मांगने की जरूरत नहीं है। हम जानते हैं कि वह सपने में भी इस्तीफा नहीं देंगे। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और वर्तमान लोगों के बीच एक बड़ा अंतर है। विधानसभा से 16 विधायकों की अयोग्यता पर राकांपा नेता ने कहा कि अगला विधानसभा सत्र जुलाई के महीने में आयोजित किया जाएगा। हम अपने अधिकारों का उपयोग यह देखने के लिए करेंगे कि हम इस मुद्दे के बारे में क्या कर सकते हैं।
इस पर आई उद्धव की टिप्पणी
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नारवेकर ने कहा था कि राजनीतिक दल के रूप में कौन सा गुट असली शिवसेना है? अब सबसे पहले यह तय करना होगा। उचित समय के भीतर मैं यह प्रक्रिया पूरी करूंगा और उसके बाद विधायकों की अयोग्यता के मसले का निपटारा किया जाएगा।
प्रक्रिया को उचित समय के भीतर पूरा करूंगा: नारवेकर
राहुल नारवेकर फिलहाल लंदन में हैं और उन्होंने पत्रकारों से कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करता हूं। शीर्ष अदालत ने स्पीकर को राजनीतिक दल को मान्यता देने की जिम्मेदारी सौंपी है। मैं इस प्रक्रिया को उचित समय के भीतर पूरा करूंगा। प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुसार, सभी याचिकाकर्ताओं को बयान देने और अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा। इस प्रक्रिया में दावों की जांच और उस पर बहस भी होगी।
नारवेकर ने किया यह बड़ा दावा
नारवेकर ने यह भी दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों को अयोग्य घोषित करने के उनके पक्ष को बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिका पर फैसला करना स्पीकर का विशेषाधिकार होगा। मैं लगातार कह रहा हूं कि (इस मामले पर) अध्यक्ष को फैसला करना है।
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