नई दिल्ली । सु्प्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उद्धव-शिंदे विवाद (Uddhav-Shinde Dispute) बड़ी संविधान पीठ को (To Larger Constitution Bench) सौंप दिया (Handed Over) । अब 7 जजों की बेंच (Now 7 Judges Bench) मामले की सुनवाई करेगी (Will Hear the Case) । हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठाने के साथ उद्धव गुट के कदम को भी सही नहीं माना। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने महाराष्ट्र राजनीतिक संकट पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा विवेक का प्रयोग भारत के संविधान के अनुसार नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे को राहत देने से इनकार कर दिया, अदालत ने कहा कि देखा गया है कि उद्धव सरकार ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल के भरोसे ऐसा कोई संचार नहीं हुआ जिससे यह संकेत मिले कि असंतुष्ट विधायक सरकार से समर्थन वापस लेना चाहते हैं। राज्यपाल ने शिवसेना के विधायकों के एक गुट के प्रस्ताव पर भरोसा करके यह निष्कर्ष निकाला कि उद्धव ठाकरे अधिकांश विधायकों का समर्थन खो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को अयोग्यता याचिकाओं पर उचित समय के भीतर फैसला करना चाहिए था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यथास्थिति बहाल नहीं की जा सकती, क्योंकि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और अपना इस्तीफा दे दिया। इसलिए सबसे बड़े दल भाजपा के समर्थन से एकनाथ शिंदे को शपथ दिलाना राज्यपाल द्वारा उचित था। स्पीकर का एकनाथ शिंदे गुट के भरत गोगावले को शिव सेना का व्हिप नियुक्त करना गलत था। स्पीकर को सिर्फ राजनीतिक पार्टी द्वारा जारी किए गए व्हिप को मानना चाहिए था। अदालत ने शिवसेना विधायकों के एक धड़े के उस प्रस्ताव को मानने के लिए राज्यपाल को गलत ठहराया जिसमें कहा गया कि उद्धव ठाकरे के पास बहुमत नहीं रहा।
महाराष्ट्र राजनीतिक संकट मामले में सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अयोग्यता याचिकाओं पर अध्यक्ष को समयबद्ध तरीके से फैसला देना होता है। स्पीकर को विधायकों को अयोग्य घोषित करना चाहिए। ऐसा करने से ही न्याय मिलेगा। इस सरकार को क्या नैतिक और कानूनी अधिकार है कि जब राज्यपाल, स्पीकर और व्हिप की मान्यता के खिलाफ निष्कर्ष हों तो एक मिनट और भी बने रहें।
शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने राज्यपाल, भारत के चुनाव आयोग और वर्तमान राज्य सरकार की भूमिका को उजागर कर दिया है। ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट के बहुप्रतीक्षित फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, फैसले के मद्देनजर, अगर मौजूदा सरकार में कोई नैतिकता बची है, तो उसे तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए, जैसा कि मैंने अपना इस्तीफा जून 2022 में दिया था। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले ने तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की भूमिका को भी उजागर कर दिया है और कैसे उन्होंने पद का दुरुपयोग किया गया।
फडणवीस ने कहा कि इस फैसले ने महाराष्ट्र विकासा आघाड़ी (एमवीए) के मंसूबे पर पानी फिर गया है। आज सवाल उठाने वालों को जवाब मिला है। महाराष्ट्र की सरकार संवैधानिक और कानूनी रूप से सही है। फडणवीस ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया को लिया गया फैसला वापस नहीं हो सकता। उद्धव ठाकरे को दोबारा सीएम नही बनाया जा सकता। स्पीकर को यह अधिकार दिया गया है कि 10वीं अनुसूची को ध्यान में रखते हुए यह तय करेंगे कि राजनीतिक पार्टी कौनसी है और फिर सदस्यता निरस्त किए जाने पर फैसला होगा। स्पीकर के पास फैसला लेने का अधिकार है।
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