नई दिल्ली (New Delhi)। महिलाओं (ladies) को हर महीने होने वाले पीरियड्स को मेंस्ट्रुअल साइकिल (Menstrual cycle to periods) के नाम से भी जाना जाता है. हर महिला को महीने में एक बार मेंस्ट्रुअल का सामना करना पड़ता है. पीरियड्स शुरू होने से पहले बहुत सी महिलाओं में इसके संकेत और लक्षण दिखने लगते हैं जिसे प्री-मेंस्ट्रुअल कहा जाता है. कुछ महिलाओं में प्री-मेंस्ट्रुअल के संकेत और लक्षण काफी ज्यादा दिखाई देते हैं जबकि कुछ में इसके कोई संकेत नजर नहीं आते हैं. प्री-मेंस्ट्रुअल के संकेतों में शामिल हैं मूड स्विंग्स, ब्रेस्ट में दर्द होना, कुछ खाने की क्रेविंग, थकान, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन.
माना जाता है कि मेंस्ट्रुअल की समस्या का सामना करने वाली हर 4 में से 3 महिलाओं को प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (pre-menstrual syndrome) का सामना करना पड़ता है. ट्रीटमेंट और लाइफस्टाइल में बदलाव करके आपक प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के संकेतों और लक्षणों को कम किया जा सकता है. आइए जानते हैं इसके संकेत और लक्षण-
प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण
प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के संकेतों और लक्षणों की लिस्ट काफी लंबी है, लेकिन बहुत सी महिलाओं में इसके कम ही लक्षण नजर आते हैं.
इमोशन और बर्ताव में होने वाले बदलावों के संकेत और लक्षण
टेंशन और एंग्जाइटी
मूड खराब होना
रोने का मन करना
मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन और गुस्सा
भूख में बदलाव और कुछ खाने की क्रेविंग करना
सोने में दिक्कत (इंसोमनिया)
ध्यान लगाने में दिक्कत
लिबिडो में बदलाव
फिजिकल संकेत और लक्षण
ज्वॉइंट्स और मसल्स में दर्द (Pain in joints and muscles)
सिरदर्द
थकान
वजन का बढ़ना
पेट में ब्लोटिंग
ब्रेस्ट का कोमल होना
मुहांसे
कब्ज और डायरिया
शराब का ना पचना
कुछ महिलाओं को इस दौरान गंभीर फिजिकल दर्द (severe physical pain) और इमोशनल स्ट्रेस का सामना करना पड़ता है जिससे उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर प्रभाव पड़ता है. आमतौर पर प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के ये संकेत और लक्षण 3 से 4 दिनों में अपने आप भी गायब हो जाते हैं.
लेकिन बहुत कम महिलाएं ऐसी हैं जिनमें प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण हर महीने दिखाई देते हैं. इस तरह के प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम को प्री-मेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (PMDD) कहा जाता है. PMDD के संकेतों और लक्षणों में शामिल हैं डिप्रेशन, मूड स्विंग्स, गुस्सा, एंग्जाइटी, बहुत अधिक भावुक महसूस करना, ध्यान लगाने में मुश्किल,चिड़चिड़ापन और टेंशन.
डॉक्टर को कब दिखाएं?
लाइफस्टाइल में बदलाव के बावजूद भी अगर आपमें PMS के लक्षण नजर आ रहे हैं तो जरूरी है कि आप डॉक्टर से संपर्क करें. कई बार महिलाएं शर्म के कारण डॉक्टर के पास नहीं जाती हैं लेकन आप बता दें कि PMS का सामना हर महिला को करना पड़ता है. ऐसे में आपको इसके लिए शर्माने की कोई जरूरत नहीं है. PMS के कारण अगर आपकी हेल्थ और डेली एक्टिविटीज पर असर पड़ रहा है तो भी डॉक्टर को जरूर दिखाएं.
प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के कारण
प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम किस कारण होता है इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन बहुत से ऐसे फैक्टर्स हैं जिससे इस स्थिति में इजाफा होता है जैसे-
हार्मोन्स में बदलाव-
हार्मोन्स में बदलाव के कारण प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के संकेतों और लक्षणों में बदलाव देखने को मिलता है जो प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज के दौरान गायब हो जाते हैं.
दिमाग में केमिकल चेंज-
सेरोटोनिन, ब्रेन में स्थित एक केमिकल होता है जो मूड को खराब करने और ठीक रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह केमिकल PMS के लक्षणों को ट्रिगर कर सकता है. दिमाग में सेरोटोनिन हार्मोन की कमी से प्री-मेंस्ट्रुअल, थकान, फूड क्रेविंग और नींद में समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
डिप्रेशन-
बहुत से महिलाएं जिन्हें गंभीर प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम का सामना करना पड़ता है उन्हें डिप्रेशन की दिक्क्त हो सकती हैं. हालांकि सिर्फ डिप्रेशन अकेला ही सभी लक्षणों का कारण नहीं है.
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य से पेश की गई है हम इन पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं.
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