नई दिल्ली (New Delhi)। दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोग ‘डिजनरेटिव रेटिनल डिजीज’ (Degenerative Retinal Disease) से जूझ रहे हैं. ये बीमारी या तो माता-पिता से विरासत में मिलती है या ये तब किसी को अपनी चपेट में लेती है, जब किसी वजह से आंखों का रेटिना (retina of eye) डैमेज हो गया हो. आजकल कई लोग इस बीमारी से लड़ रहे हैं. हालांकि एक नए शोध (research) में दावा किया गया है कि डिजनरेटिव रेटिनल डिजीज का इलाज खोज लिया गया है. इस नए शोध ने उन लोगों को एक नई उम्मीद दी है, जो काफी लंबे अरसे से इस बीमारी (Disease) के समाधान की तलाश में इधर-उधर भटक रहे थे.
यूनिवर्सिट डी मॉन्ट्रियल के मिशेल केयूएट के नेतृत्व में की गई इस रिसर्च में रिसर्चर्स ने रेटिना में रिएक्टिव डॉर्मेंट सेल्स को फिर से एक्टिव करने और उन्हें रेटिनल डिजनरेशन में खोई हुई सेल्स को ट्रांसफॉर्म करने का एक तरीका खोजा है. यूडीईएम से एफिलेटेड मॉन्ट्रियल क्लीनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में न्यूरोबायोलॉजी रिसर्च के डायरेक्टर प्रोफेसर मिशेल केयूएट की रिसर्च टीम ने पाया है कि रेटिना (ग्लियाल सेल्स) में इनएक्टिव रहने वाली सेल्स को कोन फोटोरिसेप्टर के साथ कुछ प्रॉपर्टीज को शेयर करने वाली सेल्स में ट्रांसफॉर्म (transform) करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है. फोटोरिसेप्टर लोगों को कलर्स को पहचानने और समझने, पढ़ने और ड्राइव करने जैसे कामों को करने की इजाजत देते हैं.
क्या है रेटिनल डिजनरेशन?
आंख के पीछे रेटिना में रोशनी के प्रति सेंसिटिव सेल्स के नुकसान की वजह से इनहेरिटेड रेटिनल डिजनरेशन होता है. जब ये सेल्स बीमारी की वजह से डैमेज हो जाती हैं, तो इन्हें रिप्लेस नहीं किया जाता और मरीज को विज़न लॉस का सामना करना पड़ता है. ये समस्या कई बार पूरी तरह से आंखों की रोशनी जाने का कारण भी बन जाती है.
केयूएट के लैब में डॉक्टरेट के स्टूडेंट और स्टडी के को-ऑथर अजय डेविड ने कहा कि हम एक दिन उन सेल्स का भरपूर लाभ उठा पाएंगे जो रेटिना में मौजूद होती हैं और रेटिनल सेल्स को दोबारा जनरेट करने के लिए स्टिमुलेट करती हैं, जो किसी कारण खो गईं थीं.
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