– वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एफएसडीसी की 27वीं बैठक की अध्यक्षता की
नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) (Financial Stability and Development Council (FSDC)) की 27वीं बैठक की अध्यक्षता की। वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त एफएसडीसी की बैठक में बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों में पड़ी बिना दावे वाली राशि को संबंधित लोगों को दिलाने में मदद के लिए अभियान चलाने की जरूरत पर जोर दिया गया।
आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ (Ajay Seth) ने सोमवार को एफएसडीसी बैठक में हुई चर्चा के बारे में यहां आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में जानकारी दी। सेठ ने कहा कि अमेरिका में बैंकों के विफल होने का भारतीय वित्तीय प्रणाली पर कोई असर नहीं है। उन्होंने कहा कि बैठक में यह राय रही कि केंद्रीय बजट में जिन प्रस्तावों की घोषणा की गई है, उसे अमल में लाने के लिए जरूरी विधायी बदलाव लाने को लेकर सरकार को तेजी से कदम उठाने चाहिए।
सेठ ने बताया कि एफएसडीसी का मत है कि इसको लेकर एक अभियान चलाया जाए, ताकि वित्तीय संस्थानों के पास जो बिना दावे वाली राशि है, वह संबंधित लोगों को मिल सके। उन्होंने कहा कि इस तरह की जो भी जमा राशि या शेयर अथवा लाभांश हैं, उसके बारे में नामित व्यक्ति को जानकारी नहीं है। वैसे मामले में अभियान चलाए जाने को लेकर बैठक में राय जाहिर की गई।
सीतारमण के साथ इस उच्चस्तरीय बैठक में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, वित्त राज्य मंत्री भागवत किशन राव कराड़, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास, वित्त सचिव, आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ, देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार सहित वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने फरवरी, 2023 तक बिना दावे वाली करीब 35 हजार करोड़ रुपये की राशि रिजर्व बैंक को अंतरित की थी। यह राशि वैसे खातों में जमा थी, जिनमें 10 साल या उससे अधिक समय से कोई लेन-देन नहीं हुआ। बिना दावे वाली राशि 10.24 करोड़ खाते से जुड़ी थी। आरबीआई पिछले महीने कहा था कि तीन-चार महीने में इससे संबंधित एक केंद्रीकृत पोर्टल तैयार किया जाएगा। इससे जमाकर्ता और लाभार्थी विभिन्न बैंकों में पड़ी बिना दावे वाली जमा राशि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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