कोलकाता । प्रवर्तन निदेशालय के पूरक आरोपपत्र में (In ED’s Supplementary Chargesheet) पश्चिम बंगाल के पशु-तस्करी घोटाले में (In West Bengal Cattle-Smuggling Scam) लॉटरी के पहलू (Lottery Aspect) का विस्तार से जिक्र किया है (Mentioned in Detail) ।
सूत्रों के अनुसार, आरोपपत्र में बताया गया है कि कैसे तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता अनुब्रत मंडल बीरभूम जिले से बाहर स्थित एक विशेष लॉटरी एजेंसी के साथ मिलकर आम लोगों द्वारा जीते गए लॉटरी टिकटों को औने-पौने दामों में हड़प लेते थे और उनका इस्तेमाल घोटाले की आय से आने वाले बेहिसाब धन को बदलने में करते थे।
केंद्रीय एजेंसी ने पूरी प्रक्रिया में समन्वयक के रूप में बीरभूम जिले में बोलपुर नगर पालिका के एक पार्षद को नामित किया है। पिछले साल नवंबर में, पूरे घोटाले में लॉटरी एंगल पहली बार केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच के दौरान सामने आया, जो घोटाले में समानांतर जांच कर रहा है।
अनुब्रत मंडल और सुकन्या मंडल के बैंक खातों की जांच करते समय सीबीआई ने पाया कि कई क्रेडिट लेनदेन को लॉटरी पुरस्कार राशि के रूप में दिखाया गया है। इस तरह के क्रेडिट लेनदेन इतने बार-बार हुए थे कि केंद्रीय एजेंसी को विश्वास हो गया कि महज संयोग नहीं हो सकता है। तभी सीबीआई के अधिकारियों ने घोटाले में लॉटरी के एंगल की जांच शुरू की। जांच के दौरान, उन्होंने कुछ ऐसे लोगों से पूछताछ की, जिन्होंने जीत की राशि से बहुत कम कीमत पर मंडल के सहयोगियों को उनके द्वारा जीते गए लॉटरी टिकट बेचने की बात स्वीकार की। अब ईडी के आरोपपत्र में भी यही मुद्दा सामने आया है।
सूत्रों ने कहा कि ईडी के अधिकारियों ने सुकन्या मंडल के अलग-अलग बैंक खातों में 50,000 रुपये से थोड़ी कम राशि में लगातार अंतराल पर कई नकद जमा का पता लगाया, जो स्पष्ट रूप से पैन नंबर देने से बचने के लिए किया गया था। बैंकिंग मानदंडों के अनुसार 50,000 रुपये और उससे अधिक की नकद जमा राशि के लिए अनिवार्य रूप से जमाकर्ता के पैन नंबर का उल्लेख करना आवश्यक है।
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